मार्कशीट पर लिखा होगा डिस्टेंस या रेगुलर यूनिवर्सिटी

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मार्कशीट पर लिखा होगा डिस्टेंस या रेगुलर यूनिवर्सिटी

यूनिवर्सिटीज स्टूडेंट्स की मार्कशीट्स पर दूरस्थ विश्वविद्यालय नहीं लिखती थीं,जिससे अंकसूची को देखकर यह पता नहीं लग पाता था कि यह स्टूडेंट्स ने रेगुलर से पढ़ाई की है या फिर डिस्टेंस से। इस नियम के आने से अब ऐसे स्टूडेंट की पहचान हो सकेगी। यूजीसी के आदेश के अनुसार अब डिस्टेंस और रेगुलर कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स को समान माना जाएगा।

ये होंगे फायदे

यूजीसी की इस व्यवस्था द्वारा दूरस्थ शिक्षा और नियमित शिक्षा लेने वाले छात्रों को क्लियर किया जा सकेगा।

ओपन यूनिवर्सिटी को डिग्री,डिप्लोमा या अन्य कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स का एक डाटा बेस खुद तैयार करना होगा।

इससे स्टूडेंट्स को पता चल सकेगा कि दूरस्थ शिक्षा के जरिए वे आगे के किस कोर्स में एडमिशन के लिए उपयुक्त हैं और किसके लिए नहीं।

बढ़ जाएगी पारदर्शिता

रेगुलर यूनिवर्सिटी व इंस्टीट्यूट में डिस्टेंस मोड में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट की मार्कशीट पर अब डिस्टेंस-रेगुलर अंकित होगा। अब तक यह नहीं होता था,लेकिन यूजीसी ने सभी रेगुलर इंस्टीट्यूट को आगे से ऐसा करने के निर्देश दिए हैं। यूजीसी ने यूनिवर्सिटी और ओपन यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की पहचान करने के लिए यह कदम उठाया है।

राज्य में ऐसी कई यूनिवर्सिटीज हैं,जहां डिस्टेंस मोड में कोर्स चलते हैं। इन्हें दी जाने वाली डिग्री भी रेगुलर डिग्री के समान ही बराबर होती है,लेकिन आगे से ऐसा नहीं होगा। उनकी मार्कशीट पर डिस्टेंस-रेगुलर कोड होगा।

राज्य में पंडित सुंदरलाल ओपन यूनिवर्सिटी इकलौती यूनिवर्सिटी है,जहां से दूरस्थ शिक्षा में पढ़ाई होती है। यहां दी जाने वाली मार्कशीट पर ओपन यूनिवर्सिटी अंकित होता है,लेकिन रेगुलर यूनिवर्सिटी या इंस्टीट्यूट में ऐसा नहीं होता था।

डिस्टेंस मोड में चलने वाले सर्टिफिकेट कोर्स में भी डिप्लोमा और डिग्री पर मोड ऑफ लर्निंग लिखना होगा। यूजीसी यह सारी एक्सरसाइज इसलिए करवा रही है,ताकि देशभर में रेगुलर और डिस्टेंस मोड में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट का डेटा बेस तैयार किया जा सके।

यूजीसी मानती है स्टूडेंट समान तो यह भेद क्यों

जहां तक डेटा बेस तैयार करने की बात है,वह तो ठीक है। ओपन यूनिवर्सिटी की दी जाने वाली डिग्री में ओपन यूनिवर्सिटी लिखा होता है। रेगुलर इंस्टीट्यूट में भी डिस्टेंस मोड में दी जाने वाली डिग्री समान होती थी,लेकिन अब मार्कशीट में फर्क करने से मैसेज सही नहीं जाएगा। यूजीसी यदि स्टूडेंट को समान मानती है तो फिर यह भेद कैसा। यूजीसी जो चाहेगी,उसका पालन तो करना ही होगा।

  • प्रो.बंश गोपाल सिंह,कुलपति,पंडित सुंदरलाल ओपन यूनिवर्सिटी