श्रीगंगानगर : हम भी नन्हें मुन्ने बच्चे, फिर भेदभाव क्यों
श्रीगंगानगर : इलाके में कड़कडाती ठंड को देखते हुए शिक्षा विभाग ने शीतकालीन अवकाश इस बार सात जनवरी तक कर दिया है, लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आने वाले नन्हें-मुन्नों को राहत नहीं दी गई। इन केन्द्रों में अवकाश नहीं है। एेसे में बच्चों को कड़कड़ाती सर्दी में फर्श पर बैठना पड़ रहा है।
महिला एवं बाल विकास विभाग इसे राज्य स्तर का मामला बताकर कुछ भी कहने से बच रहा है। विभाग ने फिलहाल सुबह दस बजे से दोपहर दो बजे तक आंगनबाड़ी केन्द्रों का समय निर्धारित कर रखा है लेकिन घने कोहरे और सर्दी को देखते हुए इन बच्चों को भी अवकाश देने की मांग उठने लगी है।
केन्द्रों पर कार्यरत मानदेय कर्मियों का भी कहना था कि एक ओर सरकार बच्चों को सर्दी से निजात दिलाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में अवकाश रखने के आदेश दे रही है। इन आदेशों की अवहेलना पर कार्रवाई भी की जाती है। लेकिन, दूसरी ओर प्री स्कूल के इन बच्चों को सर्दी में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आना पड़ रहा है। इन केन्द्रों पर अधिकांश बच्चे तीन साल से कम आयुवर्ग के हैं। फिर यह भेदभाव किस आधार पर किया जा रहा है।
घर से लेकर आई दरियां
अग्रसेन नगर स्कीम तृतीय के पास आंगनबाड़ी केन्द्र 33 ए पर कार्यकर्ता किरण भााटिया और आशा सहयोगिनी रीतू अपने घर से दरी और गर्म बिस्तर लाए और बच्चों को इन पर बिठाया। सहयोगिन रीतू ने बताया कि केन्द्र पर आने वाले अधिकतर बच्चे झुग्गी-झोपड़ी वाले परिवारों के हैं। एेसे में गर्म वस्त्र की व्यवस्था खुद के स्तर पर करनी पड़ रही है। इस ठंड में बच्चों को बीमार होने का अंदेशा रहता है। लेकिन विभागीय जांच और कार्रवाई के कारण छोटे बच्चों को केन्द्र पर पूरे समय बिठाए रखना पड़ता है।
ठिठुरने लगे बच्चे
यही हाल सेतिया कॉलोनी के कई केन्द्रों पर देखने को मिला। इन केन्द्रों पर बच्चों को सर्दी में ठिठुरते देख मानदेय कर्मियों ने गर्म भोजन की व्यवस्था की है। आशा सहयोगिन संजू कुमारी ने बताया कि जिला प्रशासन आंगनबाड़ी केन्द्रों पर स्कूलों की तरह अवकाश देने से राहत दे सकता है। लेकिन यह मांग अनसुनी हो रही है। बच्चे बीमार हो चुके हैं। एेसे में बच्चों की उपस्थिति कम नजर आ रही है। अभिभावक भी इस ठंड में जानबूझकर बच्चों को नहीं भिजवाते।