155 विद्यालय प्रभारियों की बढ़ी मुसीबतें

सरकार के भरोसे तो सरकारी रसोड़े का चूल्हा रहे ठंडा

पोषाहार व्यवस्था को सुचारू रखना बना टेढ़ी खीर

पाटोदी। सरकारी विद्यालयों (School) में दोपहर का भोजन पिछले सात माह से मारसा की मेहरबानी और दुकानदारों की दरियादिली के भरोसे चल रहा है। सरकार ने बजट जारी नहीं किया, हर दिन हजारों रुपए का बिल बनता है , जो सात माह से बकाया है। अब विद्यालय के अध्यापक या तो खुद की जेब से रुपए खर्च कर बच्चों को भोजन करवा रहे हैं या दुकानदार दरियादिली दिखाते हुए सात माह से उधारी दे रहे हैं, जिसके चलते मिड डे मील व्यवस्था चल रही है। अगस्त 2017 के बाद बजट ही नहीं मिला है।

क्षेत्र के 155 राजकीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय मिड डे मील की राशि का सात माह से इंतजार कर रहे हैं। इन विद्यालयों को सितम्बर 2017 से 31 मार्च 2018 तक की राशि उपलब्ध नहीं करवाई गई है। इसके चलते इन विद्यालयों में पोषाहार व्यवस्था को सुचारु बनाए रखना शिक्षकों के लिए मुश्किल हो गया है। हजारों रुपए बकाया होने पर दुकानदार अब और उधार देने से इंकार कर रहे हंै। शाला प्रधान व मिड डे मील प्रभारियों की हालत खस्ता हो गई है। वे अपनी जेब से रुपए खर्च कर व्यवस्था को चल रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है, वे भी अब हाथ खड़ा करने लगे हैं। एेसे में यह चिंता सता रही है कि कहीं विद्यालयों में दोपहर का भोजन मिलना बंद न हो जाए। बजट के अभाव में परेशान शाला प्रधान व शिक्षक कई बार विभागीय अधिकारियों को समस्या से अवगत करवाकर बजट उपलब्ध करवाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन बजट नहीं आ रहा।

उधारी के भरोसे कैसे पकाएं पोषाहार

पोषाहार राशि का समय पर भुगतान नहीं होने से आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है। दुकानदार उधार देने से आनाकानी कर रहे हैं। व्यवस्था को सुचारू बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।

-गोरधनसिंह बिश्नोई, ब्लॉक अध्यक्ष प्रबोधक संघ पाटोदी

समय पर बिल नहीं मिल रहा

ब्लॉक प्रारम्भिक अधिकारी ब्लॉक से समय पर बिल बनाकर नहीं देते है। इस पर भुगतान करना संभव नहीं होता है। बजट की कोई कमी नहीं है। एफडीओ बनाकर देने पर राशि जमा करवाई जाएगी।

-गोपालसिंह सोढ़ा, जिला शिक्षा अधिकारी बाड़मेर (प्रारम्भिक शिक्षा)