नौकरी चाहिए तो रिसर्च पेपर छपे महत्वपूर्ण जर्नल में
अगर विश्वविद्यालय में नौकरी चाहिए तो आपका शोधपत्र किसी रसूखदार जर्नल में ही छपा होना चाहिए, किसी ऐरे गैरे जर्नल में शोधपत्र छपा होने पर उसे विवि में नौकरी के लिए उपयुक्त नहीं माना जाएगा। यूजीसी (UGC) ने यह निर्णय किया है कि कम महत्व वाले जर्नल्स में रिसर्च पेपर छपवाने वाले शिक्षकों को विश्वविद्यालयों में नौकरियां नहीं मिल सकेंगी। सभी विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स की सूची बनाकर वेबसाइट पर अपलोड करने होंगी। शिक्षकों की भर्तियों के मद्देनजर यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को इसके निर्देश जारी किए हैं।
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विभिन्न संकायों में कार्यरत शिक्षक और पीएचडी करने वाले शोधार्थी विभिन्न विषयों पर पत्र-पत्रिकाओं में रिसर्च पेपर प्रकाशित कराते हैं। कॅरियर एडवांसमेंट योजना के तहत पदोन्नति, नई नियुक्तियों के दौरान इन्हें विशेष तवज्जो मिलती है। यूजीसी द्वारा निर्धारित वार्षिक मूल्यांकन सूचकांक (एपीआई) में इनकी गणना होती है।
विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर, रीडर और लेक्चरर पद की भर्तियों के चलते यूजीसी ने नए निर्देश जारी किए हैं। इसके अनुसार विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स की सूची बनाकर वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी। विभिन्न पदों पर आवेदन करने वाले शिक्षकों के रिसर्च पेपर की इन जर्नल्स के अनुरूप जांच होगी।
विषयवार निर्धारित कमेटियां निर्धारित जर्नल्स के अनुरूप शिक्षकों के रिसर्च पेपर की जांच करेंगी। इसमें अन्तर विषय (इन्टर डिस्पलेनरी) पेपर्स को भी जांचा जाएगा। विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित जर्नल्स की सूची में पेपर प्रकाशित नहीं होने पर शिक्षकों के आवेदन निरस्त हो जाएंगे।
यूजीसी के नियम 6.0.5 (1) विश्वविद्यालयों को प्रतिष्ठित जर्नल्स की सूची बनाकर वेबसाइट पर अपलोड करनी है। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में 22 शिक्षकों की भर्तियां होनी हैं। ऐसे में प्रशासन ने राज्य के विभिन्न शहरों में डीन और विषय विशेषज्ञों को जर्नल्स की सूची बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है।
यह प्रक्रिया अगले सप्ताह तक पूरी हो जाएगी। इसके बाद विश्वविद्यालय वेबसाइट पर जर्नल्स की सूची अपलोड करेगा। साथ ही इसका लिंक यूजीसी को देना आवश्यक होगा।
यूजीसी के आदेशानुसार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स की सूची बनाई जा रही है। भर्तियों में पूरी पारदर्शिता रखी जाएगी। सूची के अनुसार आवेदकों के रिसर्च पेपर और अन्य दस्तावेजों की जांच होगी।
प्रो. कैलाश सोडाणी, कुलपति, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय