अलवर : बेटियां सरकारी में पर बेटों के लिए निजी स्कूल
अलवर : शहर ना सही, पर ग्रामीण क्षेत्रों में तो अब भी बेटियों के साथ भेदभाव किया जाता है। जहां बच्चे निजी स्कूल में जाते हैं, वहीं बेटियों को सरकारी स्कूल में पढऩे के लिए भेजा जाता है।
शिक्षा विभाग के आंकड़े देखे तो पता चलता है कि प्राइवेट स्कूलों में बेटों की संख्या अधिक है, जबकि जिले के सरकारी स्कूलों में पढऩे वाली बेटियों की संख्या का आंकड़ा निरन्तर बढ़ता जा रहा है। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस मानसिकता में अब बदलाव आने लगा है, लेकिन काफी धीमी गति से।
अभिभावकों को यह दोहरा मापदंड
मेहताब सिंह चौधरी, प्रिंसीपल, राजकीय सीनियर माध्यमिक विद्यालय ढाकपुरी अलवर ने बताया कि कई अभिभावकों का यह दोहरा मापदंड बेटे और बेटियों के बीच भेदभाव को उजागर करता है। जबकि हकीकत तो ये है कि बेटियां सरकारी स्कूलों में भी पढ़कर आगे निकल रही हैं। प्रत्येक परीक्षा के परिणाम में बेटियां निजी स्कूलों में पढऩे वाले बेटों से बाजी मार रही है।
बदल रही है मानसिकता
डॉ. मिथलेश गुप्ता समाजशास्त्री ने बताया कि अभिभावकों की बेटियों के प्रति दोहरी मानसिकता अब बदल रही है। इसे पूरी तरह बदलने में अभी और समय लगेगा। परिजनों की सोच में अब फर्क आया है, इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में पढऩे वालों में बेटियां अधिक हैं। लोगों को बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलानी चाहिए।