कोटा : खाली सीटें भरने को सुप्रीम कोर्ट जाएगी केंद्र सरकार
कोटा : राजस्थान के इंजीनियरिंग कॉलेजों में खाली रह गई सीटों को भरने के लिए स्पेशल राउंड की काउंसलिंग कराने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने निजी कॉलेजों के प्रबंधकों को कड़ी फटकार लगाते हुए इस तरह की अपील दोबारा न करने की भी हिदायत दी है। वहीं आईआईटी, एनआईटी, एमएनआईटी और ट्रिपल आईटी जैसे प्रीमियर इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में छह राउंड की काउंसलिंग के बाद भी खाली रह गईं सीटों को भरने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में जुटा है।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में डायरेक्ट एडमिशन लेने पर इस बार रोक लगा दी थी। इसके लिए सरकार ने पहली बार केंद्रीयकृत प्रवेश प्रक्रिया अपनाई।
इस व्यवस्था के तहत राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय ने रीप के जरिए प्रदेश के 106 निजी और 11 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की 57013 सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन मांगे। 15 अगस्त तक चली प्रवेश प्रक्रिया के जरिए इन कॉलेजों में सिर्फ 19,500 छात्रों ने ही एडमिशन लिया। सरकारी कॉलेजों में तो अधिकांश सीटें भर गईं, लेकिन निजी कॉलेजों में 37,500 से ज्यादा सीटें खाली रह गईं।
कॉलेज प्रबंधकों ने इन सीटों के भरने के लिए आरटीयू प्रशासन पर दबाव बनाया, लेकिन प्रवेश समन्वयक प्रो. संजीव मिश्रा ने वर्ष 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए 15 अगस्त के बाद प्रवेश प्रक्रिया चालू रखने से साफ इन्कार कर दिया।
जिसके विरोध में राजस्थान इंजीनियरिंग कॉलेज सोसाइटी ने सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्पट पिटीशन दायर की, लेकिन दो सितंबर को जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस अशोक भूषण की बैंच ने इसे खारिज कर दिया। बैंच ने कहा कि एडमिशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे कॉलेज प्रबंधक पूरे साल चलाना चाहेंगे, लेकिन कोर्ट ऐसा नहीं होने देगा और जो समय सीमा पहले से तय है उसी के मुताबिक काम करना होगा।
काउंसलिंग सिस्टम सुधारने की कोशिश
मानव संसाधन विकास मंत्रालय आईआईटी और ट्रिपल आईटी जैसे देश के प्रमुख 92 इंजीनियरिंग संस्थानों की सभी सीटों को भरने के लिए काउंसलिंग सिस्टम को सुधारने की कोशिश में जुटी है। आईआईटी गुवाहाटी, एनआईटी पटना और आईआईटी मुम्बई के निदेशकों की एक कमेटी गठित की गई है सीटें खाली न रहने के तरीके सुझाएगी।