लगभग सात साल की अवधि के बाद तृतीय श्रेणी शिक्षकों एवं अन्य वर्गों के शिक्षकों के ताबड़तोड़ तबादलों का दौर तो शुरू हो गया है। चुनावी साल में शिक्षा विभाग में स्थानान्तरण भी पावर प्ले का तगड़ा साधन बनकर भी उभरा है। अब तक जहां पर्दे के पीछे से जोर आजमाइश का दौर चल रहा था, वहीं अब सरकार के मंत्रियों के बीच यह तनाव पर्दे के पीछे से उभरकर सामने आने लगा है।
इसी साल के अंत में राजस्थान विधानसभा के चुनाव हैं और अपने तबादलों के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा चुके शिक्षकों के लिए यही दौर अंतिम आशा का भी है। शिक्षकों के तबादले इन्हीं चुनावों के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में अपने तरह का पावर प्ले है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने नैतिकता के तकाजे के दरकिनार कर बाकायदा भाजपा संगठन के लिए दिशा निर्देश जारी किए, जिसमें भाजपा पदाधिकारियों, एमएलए और सांसदों को अपने अपने संबंधित शिक्षकों के तबादले के लिए अनुशंसा करने के लिए भी कहा गया था।
इस सूचना के जारी होने के साथ ही भाजपा विधायकों की यह स्थिति हो गई कि तबादले के इच्छुक हर आवेदक ने अपने क्षेत्रों के विधायकों, संगठन के पदाधिकारियों से डिजायर लिखवानी शुरू कर दी। सैकड़ों की संख्या में तबादलों की सूचियां जारी होने के बाद अब भी यह स्थिति है कि संगठन के हर पदाधिकारी और हर विधायक की लिस्ट पूरी नहीं हो पाई है।
बीते शुक्रवार को शिक्षा राज्य मंत्री और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री के बीच ऐसे ही एक मुद्दे को लेकर तीव्र झड़प होने की सूचना बताई जा रही है। घटना कुछ इस तरह बताई जा रही है कि शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी अपने आवास पर शिक्षकों के तबादले के आवेदन ले रहे थे, उसी वक्त चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री बंशीधर बाजवा मौके पर पहुंचे। बाजवा की दी गई लिस्ट को लेकर देवनानी ने बताया कि पूर्व में बाजवा द्वारा बताई गई लिस्ट के सभी तबादले कर दिए गए हैं। ऐसे में दोनों में पहले धीरे और बाद में तीव्र स्वर में कहासुनी होने लगी। आवेदन के लिए मंत्री के घर आए शिक्षक भौचक खड़े दोनों मंत्रियों को आपस में लड़ते हुए देखते रहे। कुछ लोगों का दावा है कि दोनों मंत्रियों में हाथापाई की नौबत भी आ गई थी। हालांकि इस बाबत कोई पुष्ट सूचना नहीं है।
घटना की सूचना पार्टी पदाधिकारियों को मिली, तो दोनों मंत्रियों को तुरंत प्रभाव से पार्टी मुख्यालय बुला लिया गया। मौके पर पहुंचे मीडियाकर्मियों ने दोनों मंत्रियों से मामले के बारे में पूछताछ का प्रयास किया, लेकिन दोनों ही नेताओं ने मीडिया से बातचीत नहीं की। पार्टी मुख्यालय ने भी ऐसी किसी घटना की जानकारी से इनकार किया है।
दोनों मंत्रियों की झड़प की सूचना मेन स्ट्रीम मीडिया से पहले सोशल मीडिया पर प्रसारित हो गई और सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर भाजपा और नेतृत्व की जंचाकर छीछालेदर हो रही है।
नया सत्र शुरू हो चुका है और जुलाई से कक्षाएं नियमित होने लगेंगी, ऐसा माना जा रहा है कि तबादलों का दौर कभी भी थम सकता है, ऐसे में हर मंत्री, विधायक, सांसद और भाजपा पार्टी का कार्यकर्ता अपने अनुकूल शिक्षकों के तबादले कराने की होड़ में लगा हुआ है। मंत्रियों की आपसी झड़प को संगठन के भीतरी तनाव का केवल बर्फ में तैरता ऊपरी हिस्सा माना जाए, तो संगठन के भीतर तबादलों की राजनीति को लेकर तगड़ी मुखालफत के बीज दिखाई दे सकते हैं।