पाली : एडीईओ लिपिक को चार्जशीट देने की तैयारी
पाली : शिक्षा विभाग में स्टाफिंग पैटर्न में हुई गड़बडिय़ों की जांच के लिए एडीएम बीके चांदोलिया की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंप दी। जांच रिपोर्ट में डीईओ शिवप्रसाद परिहार, तत्कालीन एडीईओ धन्नाराम परिहार संस्थापन के दोनों लिपिक देवेंद्र शर्मा बंशीलाल को दोषी माना है।
साथ ही स्टाफिंग पैटर्न में इतने बड़े स्तर पर हुई गड़बडिय़ों को लेकर भी इन सभी को जिम्मेदार माना है। इन अधिकारी-कर्मचारियों पर काम के दौरान घोर लापरवाही बरतने के आरोप भी हैं। अब इन सब के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर कलेक्टर कुमारपाल गौतम ने शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव से इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए सस्पेंड करने की अनुशंषा की है।
कलेक्टर कुमारपाल गौतम ने एडीएम बीके चांदोलिया की अध्यक्षता में प्रशिक्षु आईएएस सौरभ स्वामी एडीईओ केके राजपुरोहित की जांच कमेटी गठित की थी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों संबंधित लिपिकों ने स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर चेहते शिक्षकों को जिस स्कूल से अधिशेष बताया गया, उसी स्कूल में पद स्वीकृत नहीं होने के बाद भी यथावत के आदेश जारी कर दिए। वहीं एक ही शिक्षक को दो बार अधिशेष बताकर उसके इच्छित स्कूल में पदस्थापन तक करा दिया।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि पद स्वीकृत नहीं होते हुए भी माध्यमिक से प्रारंभिक शिक्षा में होने वाली काउंसलिंग के लिए इन शिक्षकों को दुबारा अधिशेष करके इच्छित स्कूल में पदस्थापन कराने के लिए 8 जुलाई को आयोजित दूसरी काउंसलिंग में सम्मिलित कर दिया।
जांच रिपोर्ट में 6डी में भारी अनियमितताएं उजागर हुई।
- लिपिकों ने मनमर्जी से वरीयता सूची बनाई।
- रिक्त पदों को दर्शाया तक नहीं।
- अपने चेहते शिक्षकों को मनमर्जी से पदस्थापन दिया।
- शाला दर्पण का ध्यान नहीं दिया।
- काउंसलिंग के बाद परिवेदना निस्तारण में भी में गड़बडिय़ां की गई।
- जो मन में आया आदेश बनाकर लगा दिया शिक्षकों को मर्जी की स्कूल में।
- स्टाफिंग पैटर्न की एक भी गाइडलाइन नियमों का पालन नहीं किया।
- जांच के दौरान अधिकारियों लिपिकों का तर्क – शाला दर्पण अपडेट नहीं
जांच रिपोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए सभी अधिकारियों लिपिकों ने शाला दर्पण पोर्टल अपडेट नहीं होने का हवाला देते हुए अपने आप को बचाने का खूब प्रयास किया। जांच कमेटी ने अधिकारियों के सामने स्पष्ट कहा कि अगर शाला दर्पण अपडेट नहीं था तो संबंधित स्कूल के संस्थाप्रधान के खिलाफ कार्रवाई क्यूं नहीं की। इतना ही नहीं इसको लेकर जिला स्तर पर कोई मॉनिटरिंग क्यूं नहीं हुई।
जांच कमेटी में 210 से अधिक शिकायतें
जांचकमेटी के सामने भी 210 से अधिक शिकायतें मिली। संस्थापन के साथ-साथ ही डीईओ शिवप्रसाद परिहार एडीईओ धन्नाराम परिहार को पूरी तरह से दोषी माना। कमेटी ने रिपोर्ट में सिर्फ 15 से अधिक उदाहरण रखे। अंदाजा लगाया जा सकता है। कि इन अधिकारियों कर्मचारियों ने कितने बड़े स्तर पर गड़बड़ी को अंजाम दिया है।
परिवेदनाएं 200 से ज्यादा, निस्तारण किया 3 का
जांचरिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि शिक्षकों ने काउंसलिंग के बाद करीब 200 से अधिक परिवेदनाएं दर्ज कराई थी। लेकिन परिवेदनाओं के लिए गठित कमेटी ने सिर्फ 3 का ही निस्तारण किया था। बाकी सब निरस्त कर दी थी। इतना ही नहीं परिवेदनाओं के लिए कोई पृथक रजिस्टर तक नहीं बनाया गया। साथ ही मनमर्जी से ही उन्हें निरस्त कर दिया।
मैंने पूरी कर कलेक्टर सर को सौंप दी है। इन सबने बड़े स्तर पर गड़बडिय़ां की है। सबके खिलाफ सबूत भी है। कुछ उदाहरण भी दिए गए हैं।
– सौरभ स्वामी, जांच अधिकारी आईएएस प्रशिक्षु
जांच रिपोर्ट के बाद सभी के खिलाफ कार्रवाई को लेकर शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव से अनुशंषा कर दी है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई जरूर होगी।
कुमार पाल गौतम, कलेक्टर