प्रिंसीपल प्रमोशन को लेकर शिक्षक संगठन आमने-सामने
प्रिंसीपल पद पर प्रमोशन में संख्यात्मक अनुपात के मसले पर दो शिक्षक संगठनों में मतभेद के चलते शिक्षक आंदोलन का गणित गड़बड़ाने लगा है। इस मुद्दे को लेकर राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा) और राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा-पी) व राजस्थान शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ (रेसला) में तन गई है। एक संगठन जहां प्रिंसीपल पद पर प्रमोशन पर संख्यात्मक अनुपात को सही मान रहा है, वहीं दूसरे दो संगठन इस अनुपात में बदलाव की मांग कर रहे हैं। दोनों संगठन बुधवार को रैली कर रहे हैं।
राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा) इस अनुपात में बदलाव नहीं चाहता है, जबकि राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा-पी) व राजस्थान शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ (रेसला) संख्या के हिसाब से अनुपात में बदलाव चाहते हैं।
दोनों ही संगठन अपने अपने मुद्दे पर आंदोलनरत हैं और बुधवार को दोनों ही रैली कर रहे हैं। प्रदेश में प्रधानाचार्य पद पर प्रमोशन में प्रधानाध्यापक (माध्यमिक शिक्षा) व व्याख्याता अनुपात 33:67 प्रतिशत है। रेसा इसमें बदलाव नहीं चाहता है, जबकि रेसा पी व रेसला का कहना है कि व्याख्याताओं की संख्या कई गुना बढ़ गई है, जबकि प्राधानाध्यापकों की संख्या कम हो गई है, ऐसे में इस अनुपात में बदलाव किया जाना चाहिए। दोनों ही संगठन शिक्षा संकुल में क्रमिक धरना दे रहे हैं।
इस अन्याय के खिलाफ बुधवार को सुबह 11 बजे बाईस गोदाम से ज्योति नगर टी प्वॉंट तक रैली आयोजित की जाएगी। रैली में प्राधानाध्यापक से लेकर अतिरिक्त शिक्षा निदेशक स्तर के 8000 हजार शिक्षक शामिल होंगे। इधर राजस्थान शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ (रेसला) की ओर से शिप्रापथ थाने के सामने मैदान में रैली की जाएगी। रेसला के प्रदेश अध्यक्ष मोहन सिहाग ने बताया कि रैली में प्रदेशभर से व्याख्याता शामिल होंगे। व्याख्याता व प्रधानाचार्य बुधवार को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। सिहाग का दावा है कि क्रमिक धरना दिया, लेकिन सरकार ने अब तक वार्ता तक के लिए नहीं बुलाया है। अब मजबूरन रैली करनी पड़ रही है। शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी है कि सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।