भ्रष्टाचार को जन्म देती है दोषपूर्ण शिक्षा नीति

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भ्रष्टाचार को जन्म देती है दोषपूर्ण शिक्षा नीति

मदनगंज किशनगढ़ : केन्द्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान के सभागार में स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रुप में मनाई गया। मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता एस व्यासा योगा विश्वविद्यालय बैंगलोर के उपकुलपति डा. कंभमपति सुब्रह्मण्यम द्वारा वैल्यू एजूकेशन – द नीड फॉर ईट एंड द हाऊ फार ईट पर आयोजित विशेष व्याख्यानमाला में कई बिन्दुओं पर प्रकाश डालकर वर्तमान शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला और क्या क्या संशोधन कर किस प्रकार से इसे वर्तमान के अनुकूल बनाया जा सकता है की जानकारी दी।

मुख्य वक्ता डा. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि दोषपूर्ण शिक्षा नीति ही भ्रष्टाचार को जन्म देती है। जब तक हम वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बदलाव नहीं लाएंगे और उच्च व मूल्य शिक्षा प्रणाली को नहीं अपनाएंगे तब तक हम भ्रष्टाचार को नहीं हरा सकते है।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर आयोजित विशेष व्याख्यानमाला में मौजूद विद्यार्थियों व शिक्षकों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम उपयोगी शिक्षा को महत्व दे और उसकी ओर अपना ध्यान केन्द्रित करें।

मुख्य वक्ता ने सुझाव देते हुए कहा कि हर विश्वविद्यालय में मूल्य शिक्षा विभाग होने चाहिए क्योंकि शिक्षा का उत्पादन वैक्यूम में नहीं किया जा सकता इसके लिए वास्तविकता के साथ सहयोग आवश्यक है।

व्याख्यानमाला के अंत में विद्यार्थियों व मौजूद अधिकारियों द्वारा प्रश्नोंत्तरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके तहत विद्यार्थियों व अन्य अधिकारियों ने कई प्रकार के प्रश्न पूछ कर अपनी जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास किया।

मुख्य वक्ता ने सभी के प्रश्नो को बहुत ही रोचक तरीके से उदाहरण सहित जबाव दिया।
कला व संस्कृति व मूल्य शिक्षा से पहचान करना ही था व्याख्यानमाला का ध्येय

विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी अनुराधा मित्तल ने बताया कि इस व्याख्यानमाला का उद्देश्य शिक्षा, व्यापार, कला, संस्कृति और नागरिक समाज से जुड़े उच्चतम क्षमताओं के सार्वजनिक वक्ताओं को एक मंच पर लाना था ताकि वे अपने विचार सभी के साथ साझा कर सके।

इसका ध्येय विश्वविद्यालय के आदर्श वाक्य सतत विकास के लिए शिक्षा को ध्यान में रखते हुए सामान्य रुचि वाले प्रासंगिक विषयों पर सभी को चर्चा व बहस के लिए प्रेरित करना तथा मूल्य शिक्षा को संस्कारों के माध्यम से बढावा देना था।

इससे पूर्व व्याख्यान माला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति पारदासानी द्वारा स्वागत भाषण द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता व अतिथि का विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा शाल उठाकर स्वागत किया गया और स्मृति चिन्ह दिया गया।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव केवीएस कामेश्वर ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। विशेष व्याख्यानमाला के दौरान बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शिक्षक, प्रभारी मौजूद रहे।