हर साल जून माह के मध्य तक जारी हो जाने वाला राजस्थान शिक्षा विभाग का विभागीय कलेण्डर शिविरा कलेण्डर इस साल अब तक प्रकाशित नहीं हो पाया है। हालांकि विभाग ने कुछ दिन पहले इसे जारी करने का उपक्रम किया था, लेकिन विवाद के चलते इसे रिवीव के लिए शिक्षाराज्यमंत्री ने अपने पास मंगा रखा है। वहां से हरी झण्डी मिलने के बाद ही शिविरा कलेण्डर प्रकाशित हो पाएगा।
विवाद की शुरूआत कुछ इस प्रकार हुई कि हर साल प्राथमिक शिक्षा से जुड़े विद्यार्थियों को शाला में महापुरुषों के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए गए होते हैं। ऐसा इसी साल शुरू नहीं किया गया है, बल्कि यह अभ्यास पिछले कई सालों से चल रहा है।
राजस्थान पत्रिका समाचारपत्र के सीकर एडीशन में एक भ्रमित करने वाली खबर यह छापी गई कि अब बच्चों को स्कूल में बाबा लोग प्रवचन देंगे और शिक्षा विभाग ने शिविरा कलेण्डर में इसकी घोषणा की है। हालांकि यह बात पूरी तरह आधारहीन थी, लेकिन चूंकि पूर्व में अच्छी साख रखने वाले समाचारपत्र में यह बात छपी तो रातों रात देशभर में इसको लेकर बवाल हो गया और राजस्थान सरकार के इस निर्णय की भर्त्सना होने लगी। जबकि हकीकत में ऐसा कोई आदेश जारी ही नहीं हुआ था।
एक तरफ जहां फेक खबर के आधार पर राजस्थान की वसुंधरा सरकार और शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी का मीडिया ट्रायल शुरू हो गया और विपक्ष ने भी इसका पूरा लाभ उठाना शुरू कर दिया, तो दूसरी ओर विभाग के भीतर भी एक दूसरे पर दोषारोपण की भूमिकाएं बनने लगी। इसी विवाद को देखते हुए वासुदेव देवनानी ने शिविरा कलेण्डर को रिवीव के लिए अपने पास मंगा लिया है।
इसका परिणाम यह हुआ है कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में शिक्षा विभाग की पत्रिका शिविरा में प्रकाशित होने वाले इस कलेण्डर का प्रकाशन 21 जून तक अधरझूल में लटक रहा है। नया शिक्षा सत्र शुरू हो चुका है और विभागीय कलेण्डर नहीं मिला है तो विभागीय अधिकारी भी पीछे देख आगे चल की तर्ज पर अनुमान से ही गतिविधियों को अंजाम दिए जा रहे हैं।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक शिविरा कलेण्डर में पिछले निर्देशों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, अधिकांशत: तारीखों को ही पुनर्व्यवस्थित किया गया है, ऐसे में देखने की बात यह है कि नए शिक्षा सत्र को अपना शिविरा कलेण्डर कब तक मिल पाता है। जून के आखिरी सप्ताह तक अगर शिक्षा राज्य मंत्री से हरी झण्डी नहीं मिल पाती है तो विभाग के प्रकाशन अनुभाग को जुलाई 2018 के शिविरा अंक में इसे छापने में पसीना आ सकता है।
उपरोक्त चित्र में स्कूलों में अब बाबा देंगे प्रवचन नाम से छपी खबर और उसका राजनीति लाभ लेने का प्रयास करते स्थानीय कांग्रेसी नेता का पोस्टर। इसे लेकर ट्विटर पर जमकर राजस्थान के शिक्षा विभाग को ट्रॉल किया गया था।