स्टेट ओपन स्कूल : 35 हजार विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर

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स्टेट ओपन स्कूल : 35 हजार विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर

स्टेट ओपन स्कूल के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक के विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा है। परीक्षा सिर पर है, लेकिन अभी तक पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पाई हैं।

विद्यार्थी रोजाना नोडल केन्द्रों पर चक्कर लगा रहे है। प्रवेश लेने के तीन माह गुजर जाने के बाद भी उन्हें पुस्तकें नहीं मिल पा रही है। एेसे में पढ़ाई ठप है, जबकि मार्च में परीक्षा है।

स्टेट ओपन स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया जुलाई-अक्टूबर माह में हो गई। विद्यार्थियों को अक्टूबर तक पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करवानी थी। कोटा जिले में कुल 11 संदर्भ केन्द्रों पर करीब डेढ़ हजार विद्यार्थी हैं। प्रदेश में करीब 35 हजार विद्यार्थी पाठ्यपुस्तकों के लिए विद्यालयों में सम्पर्क कर रहे हैं।

चल रही संपर्क कक्षाएं, ठाले बैठे विद्यार्थी

25 दिसम्बर से 8 जनवरी तक विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए प्रत्येक संदर्भ केन्द्र में सम्पर्क कक्षाएं लगाई जा रही है। विद्यार्थी भी प्रतिदिन कक्षाओं में आ रहे है, लेकिन ठाले बैठे रहते है। एेसे में बिना पाठ्यपुस्तकों के समस्याएं कैसे हल होगी।

यह है स्कूल का उद्देश्य

ओपन स्कूल का लक्ष्य सबके लिए शिक्षा। इसमें बालिकाओं, महिलाओं, ग्रामीण युवाओं, काम करने वाले पुरुषों एवं महिलाओं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विकलांगों और अन्य सुविधा वंचित लोगों को शिक्षित करना इसकी विशेष प्राथमिकता है।


पाठ्य पुस्तकों के लिए टेंडर हो चुके है। पुस्तकें छपने के लिए गई है। वहां से आने के बाद ही नोडल केन्द्रों पर भिजवाएंगे। यह काम फरवरी तक हो पाएगा। अगले वर्ष से व्यवस्था में सुधार के लिए कुछ बदलाव करेंगे। विद्यार्थी जब आवेदन करेगा, तब ही उसे पुस्तकें उपलब्ध करवा देंगे। इसके लिए मंत्रीजी से बात हुई है।

महेश गुप्ता, सचिव, स्टेट ओपन स्कूल