जेल प्रहरी भर्ती परीक्षा आउट केस, चालान पेश करना ही भूल गई पुलिस
अजमेर। पिछले साल 24 जनवरी को हुई थी जेल प्रहरी भर्ती परीक्षा। परीक्षा से ठीक पहले वाट्सएप पर पर्चा आउट हो गया था। जो गिरोह इसमें शामिल था, उसने आंसर की वायरल कर दी थी।
करीब छह लाख परीक्षार्थी इसमें शामिल होने वाले थे, ऐसे में परीक्षा स्थगित की जाती तो पूरे प्रदेश में भारी अराजकता फैल जाती। पुलिस ने गजब की फुर्ती से गिरोह को राउंडअप किया और परीक्षा करा ली। पूरे प्रदेश में पुलिस ने अपना इकबाल बुलंद करवा लिया। इस बड़े और गंभीर मामले में पुलिस ने तेजी से जांच तो पूरी कर ली, लेकिन अदालत में चालान पेश करना भूल गई है। सामान्यत: 90 दिन की अवधि में चालान पेश कर दिया जाता है, लेकिन 20 महीने बाद भी पुलिस ने चालान पेश नहीं किया है।
पेपर लीक व आंसर की वायरल हाेने के मामले में पिछले साल 24 जनवरी को दर्ज किए गए मुकदमे में क्रिश्चियन गंज थाना पुलिस शायद चार्जशीट पेश करना ही भूल गई है। 950 पद के लिए करीब पौने छह लाख अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में भाग्य आजमाया था। परीक्षा के दिन ही पुलिस ने वाट्सएप पर पेपर लीक व आंसर की वायरल होने का सनसनीखेज खुलासा करते हुए ताबड़तोड़ 64 लोगों को हिरासत में लिया था।
इसके बाद अजमेर में 39 को नामजद कर गिरफ्तार किया और दो दिन रिमांड लेने के बाद अभियुक्तों को जेल भिजवाने के साथ ही पुलिस की जांच पूरी हो गई थी। पुलिस अनुसंधान पूरा होने के आधार पर ही मुल्जिमों की जमानत अर्जियां भी मंजूर हुई। अब हालत यह है कि पिछले करीब 20 महीने से अदालत में केवल तारीख पेशी पड़ रही है।
शुक्रवार को इस प्रकरण में सुनवाई थी और हमेशा की तरह ही कुछ मुल्जिमों की ओर से हाजिरी माफ करने की अर्जी पेश हुई। कुछ के बारे में तो स्थिति स्पष्ट ही नहीं है कि वे खुद या वकील उपस्थित भी हो रहे हैं या नहीं। अदालत ने पुरानी कार्रवाई दोहराते हुए प्रकरण में 15 सितंबर की पेशी तय कर दी है।
मामले से जुड़े वकीलों का कहना है कि न तो अब इस मामले में अभियुक्त आते हैं और न ही अदालत में कोई कार्रवाई हो रही है, क्योंकि पुलिस ने नतीजा ही पेश नहीं किया है। सवाल यह है कि क्या पुलिस ने इतने बड़े मामले का खुलासा करते हुए 39 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की थी, वह सारी कार्रवाई आधारहीन थी। अगर पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य है तो अब तक चार्जशीट पेश क्यों नहीं की गई।
प्रदेश भर में मची थी हलचल
24 जनवरी को जेल प्रहरी परीक्षा का पेपर वाट्सएप पर लीक होने की खबर से प्रदेशभर में हलचल मच गई थी। पुलिस ने ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां की और 64 लोगों को हिरासत में ले लिया। इसमें प्रदेश के करीब 10 से 11 जिलों से आरोपी पकड़े गए थे। बाद में 39 को नामजद किया गया था। इसमें पेपर लीक करने वाले आैर उनसे लेने वाले अभ्यर्थी शामिल हैं।
अनुसंधान बाकी नहीं
पुलिस ने एफएसएल मिलान, लेखनी व हस्ताक्षर नमूना लेने, सीआरपीसी की धारा 41 के नोटिस सहित समस्त तफ्तीश पूरा करते हुए अनुसंधान पूर्ण होने की रिपोर्ट अदालत को दी थी। 27 जनवरी 2016 की कोर्ट प्रोसीडिंग्स में लिखा है कि – भूपेंद्र सिंह सीआई रामगंज ने अभियुक्तों को पेश किया। सीडी पेश कर 15 दिन का रिमांड चाहा। पत्रावली पर धारा 27 साक्ष्य अधिनियम की इत्तला संलग्न नहीं है। प्रकरण में अभियुक्तगण से कोई बरामदगी व अनुसंधान शेष नहीं है अत: मुल्जिमों को जेसी किया जाता है। 9 मार्च 2016 को पेश हो।