बदइंतजामी में पानी को तरसी
बांसवाड़ा। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सर्व शिक्षा अभियान की ओर से आयोजित अध्यापिका मंच की प्रदर्शनी कार्यक्रम में महिला शिक्षिकाओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। 11 ब्लॉक की 165 महिलाएं इसमें शामिल हुई, लेकिन इनके लिए खाने की व्यवस्था को दूर पानी तक नहीं था। इसके चलते कई महिलाओं की तबीयत भी खराब हो गई।
शीतला सप्तमी होने के कारण कई महिलाएं तो व्रत में थी, जिन्हें फलाहार तो दूर पानी तक नहीं मिला। वहीं कुछ ने पूरे दिन केवल एक कचौरी से काम चलाया। पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण जब कार्यक्रम में हंगामे के हालात बने तो आनन-फानन में पास से गुजर रहे एक गन्ने के जूस वालों को बुलाया और काम चलाया। प्रदर्शनी में सभी ब्लॉक से एक-एक स्टॉल लगाई गईं, जिनमें स्वच्छता अभियान, खेलों के जरिए शिक्षण और अध्यापिका मंच और मीना मंच की दूसरी गतिविधियां दर्शाईं थी। इसके लिए अरथूना ब्लॉक से सुबह 8 बजे 14 अध्यापिकाएं घर से निकली और 10 बजे पहले पहुंचकर स्टॉल की कमान संभाली। इनके साथ आई शिक्षिका वीना दवे ने बताया कि ऐसा घटिया बंदोबस्त कभी नहीं देखा। गर्मी में न पीने को पानी, न टेंट में पंखे का जुगाड़। एक कचौड़ी में पूरा दिन निकालना पड़ा।
आनंदपुरी की शिक्षिकाएं बोलीं-आगे से नहीं आएंगी
आनंदपुरी से प्रदर्शनी में शामिल 15 शिक्षिकाएं भी व्यवस्थाओं से खफा नजर आईं। इनमें शामिल छाजा बालिका स्कूल की अध्यापिका दीक्षा पंड्या ने कहा कि यहां आकर परेशान हुए। इससे तो बढ़िया कार्यक्रम हम ब्लॉक स्तर पर ही रख लेते। उधर, तलवाड़ा ब्लॉक के खेमे में तो आरपी खुद ही गायब रही। 13 शिक्षिकाओं के इस समूह ने भी खुलकर कहा कि दिक्कत झेलने आगे से बुलावे पर नहीं आएंगे। इन महिलाओं ने आयोजन के खर्चे पर भी सवाल उठाया। अध्यापिका मंच समारोह के दौरान अव्यवस्थाओं पर बिखरीं बैठी महिलाएं।
समापन कार्यक्रम से रही बेरुखी
प्रदर्शनी के उदघाटन सत्र में एडीईओ परथा दामा, शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी खुशपाल शाह और आरटीई प्रभारी प्रदीप पाटीदार, बालिका शिक्षा प्रभारी साधना जैन के अलावा ब्लॉक के अधिकारी एवं सर्व शिक्षा से जुड़े कार्मिक मौजूद थे। इस दौरान श्रेष्ठ स्टाल की स्पर्द्धा भी हुई, जिसमें संचालन धर्मिष्ठा पंड्या ने किया।
आयोजन का कुल बजट ही 24 हजार 750 रुपए था। इसमें भी 50-50 रुपए सभी संभागियों को यात्रा व्यय के नकद दिए गए। नाश्ते के लिए 25 रुपए प्रति व्यक्ति का ही प्रावधान होने और टेंट, माइक जैसी दूसरे खर्चे ज्यादा रहे। महिलाओं काे दिक्कतें आईं, तो आगे से ध्यान रखा जाएगा।
-उमेश अधिकारी, जिला परियोजना समन्वयक सर्व शिक्षा अभियान, बांसवाड़ा