आईआईएम का रूरल इमर्शन प्रोग्राम
उदयपुर। स्मार्ट सिटीज की रैंकिंग में देश में चौथे नंबर पर रहे उदयपुर शहर से 5-10 किलोमीटर दूर स्थित गांवों की तस्वीरें चौंकाने वाली हैं। सरकार के विकास के दावे और वादे कुछ भी हों लेकिन इन आदिवासी गांवों की सच्चाई दावों से परे है। डिजिटल इंडिया के दौर में इन गांवों में हजारों ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी ही नहीं है। अब तक ये किसी तरह की योजनाओं के लाभ ले पाने से वंचित हैं। इन गांवों में पीढ़ियों से अधिकतर ग्रामीणों ने कॉलेज तक नहीं देखा। स्कूल दूर हो तो बच्चों की भी पढ़ाई छुड़वा दी जाती है। लोग तो गरीबी रेखा से नीचे हैं लेकिन किसी परिवारों के पास बीपीएल कार्ड तक नहीं है। यह कार्ड क्या होता है, यह भी नहीं पता है। जीवन यापन का एकमात्र साधन खेती है। बरसात ठीक नहीं हुई तो परिवार बर्बाद हो जाता है। उदयपुर की यह चिंताजनक तस्वीरें आईआईएम उदयपुर के रूरल इमर्शन प्रोग्राम के तहत आदिवासी गावों में किए सर्वे में सामने आई हैं। आईआईएम के 233 छात्र (233 students) इस प्रोग्राम के तहत जिले के 46 आदिवासी गांवों में गए और कुछ दिन रुककर वहां की व्यवस्थाओं व हालातों को पढ़कर रिपोर्ट तैयार की है। छात्रों ने यह रिपोर्ट आईआईएम को सब्मिट कर दी है। रिपोर्ट और प्रजेंटेशन के आधार पर छात्रों को अंक दिए जाएंगे।