रोज तीन सदस्य करेंगे मॉनिटरिंग
विद्यालय प्रबंधन व विकास समिति कराएगी सफाई की व्यवस्था
रोजाना सफाई की स्थिति पर रजिस्टर में कमेंट लिखना होगा
जयपुर। आए दिन स्कूलों में बच्चों से सफाई कराने या सफाई नहीं होने की शिकायते मिलती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब स्कूलों की सफाई का जिम्मा विद्यालय प्रबंधन समिति और विद्यालय विकास समिति के जिम्मे होगा। अब प्रदेश के सरकारी स्कूल भी एकदम चमाचम होंगे। इसके पीछे एक बड़ा कारण हैं रैंकिंग। अभी देश और प्रदेशभर में स्वच्छता के लिए स्कूलों की रैंकिंग चल रही है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्तर तक स्वच्छ विद्यालय रैंकिंग दी जा रही है। 2016—17 की रैंकिंग में राष्ट्रीय स्वच्छ विद्यालय में देश के तीन सर्वोच्च राज्यों में राजस्थान का नाम रहा।
ये करेंगे मॉनिटरिंग
स्कूलों में सफाई व्यवस्था की नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी। इसके लिए विद्यालय प्रबंधन समिति, विका समिति का कोई एक सदस्य, एक शिक्षक व एक विद्यार्थी प्रतिनिधि शामिल होगा। इन सदस्यों को रोज विद्यालय की साफ—सफाई का अवलोकन करना होगा। इसके लिए अलग से एक रजिस्टर बनाना होगा, जिसमें रोजाना की सफाई की स्थिति को बताना होगा।
अब इन पर रहेगी जिम्मेदारी
विद्यालय परिसर, कक्षा कक्ष व शौचालयों की साफ—सफाई की व्यवस्था का जिम्मा अब विद्यालय प्रबंधन समिति, विकास समिति और विकास कोष से पर रहेगा। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के माध्यम से स्वच्छता राशि मिलेगी इसके साथ ही जनसहयोग व सीएसआर के तहत भी राशि एकत्रित की जा सकेगी। इसके लिए सत्र शुरू होने के साथ ही सहमति ली जाएगी। विद्यालय परिसर व कक्षा कक्ष की नियमित सफाई के लिए एक लाख रुपए से कम का खर्च किया जा सकेगा। इसमें शौचालय में पानी आदि की व्यवस्था के लिए टंकी और पानी की मोटर की भी व्यवस्था करनी होगी।
ऐसे मिलेगी रैंकिंग
भारत सरकार ने राजस्थान के 201 विद्यालयों को ग्रीन और ब्ल्यू श्रेणी में रैंकिंग देते हुए उन्हें स्वच्छता में उत्कृष्ट और बहुत अच्छा माना है। राष्ट्रीय स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के तहत राष्ट्रीय स्तर पर देशभर के विभिन्न राज्यों के विद्यालयो में स्वच्छ पेयजल, शौचालय, साबुन सहित हाथ धोने की समुचित व्यवस्था, स्वच्छता के अंतर्गत विद्यालयों की समुचित रख-रखाव व्यवस्था, स्वच्छता के अंतर्गत विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों की आदतों में आए सकारात्मक बदलाव आदि मानदंडों पर पुरस्कार पात्रता के लिए नामांकित किए जाते हैं। इसके अंतर्गत जहां 90 से 100 प्रतिशत तक स्वच्छता पाई गई उन विद्यालयों को उत्कृष्ट मानते हुए ‘ग्रीन’, जहां 75 से 89 प्रतिशत तक स्वच्छता पाई गई उन्हें बहुत अच्छी श्रेणी का मानते हुए ‘ब्ल्यू’ तथा जहां 51 प्रतिशत से 74 प्रतिशत तक स्वच्छता अनुभूत की गई उन्हें अच्छे की श्रेणी में माना जाता है।