बच्चों को जूडो की निशुल्क ट्रेनिंग दे रहे हैं ये शिक्षक

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उदयपुर। दो शिक्षक किशन सोनी और सीमा नकवाल ने अपने गुरु सुशील सेन से जूडो और खेेल की शिक्षा ली और पिछले दस साल से अपने गुरु के साथ शहर के युवाओं को बिना किसी शुल्क के जूडो की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इसके पीछे इनकी सोच ये है कि इन युवाओं को मुसीबत के समय किसी का सहारा न लेना पड़े, वे अपनी रक्षा स्वयं कर सकें। इनमें खासकर बच्चियां शामिल हैं। इन दिनों अम्बामाता सामुदायिक भवन में सुशील सेन, किशन सोनी, सीमा नकवाल पचास से ज्यादा लड़के और लड़कियों को ट्रेनिंग के साथ आत्म रक्षा के गुर सीखा रहे हैं। तीनों पेशे से सरकारी स्कूल में पीटीआई शिक्षक हैं।

सीमा : बच्चों को प्रशिक्षण देने राजसमंद से आती हैं उदयपुर

सीमा नकवाल भी बचपन से गुरु सुशील सेन से निशुल्क प्रशिक्षण ले रही हैं। ये जूडो में नेशनल मेडलिस्ट हैं। कुछ समय पूर्व राजसमंद में पीटीआई की सरकारी सेवा में इनका चयन हुआ है। ये इसका श्रेय अपने गुरु सुशील सेन को देती हैं। सीमा राजसमंद से बच्चों को निशुल्क जूडो सिखाने के लिए रोज यहां आती हैं। वह खासकर छात्राओं में आत्मरक्षा और निडरता का संदेश देने के लिए अपने गुरु की सीख पर अमल करते हुए उन्हें प्रशिक्षण दे रही हैं।

सुशील सेन –अम्बामाता में चला रहे हैं निशुल्क जूडो क्लासेज

सुशील सेेन दस साल से अम्बामाता में निशुल्क जूडो क्लासेज चला रहे हैं। इससे पहले भी वे सैकड़ों छात्रों को खेलों में प्रशिक्षण के साथ पढाई में कुशाग्र करके सरकारी नौकरी में चयनित करा चुके हैं। आज इनके छात्र पीटीआई, पुलिस, बैंक में कार्यरत हैं। सुशील सेन जूड़ो के राष्ट्रीय निर्णायक भी हैं। जब वे सवीना स्कूल में थे तब उनके शिष्य नेशनल स्तर पर गोल्ड आैर सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। सेन जिला स्तर पर कई बार सम्मानित भी हो चुके हैं।

किशन सोनी- स्कूल को दो साल से बनाया खेलों में जिला चैम्पियन

पिपलिया गांव अब यहां की स्कूल के नाम से भी पहचान बना रहा है। किशन सोनी इस स्कूल में पीटीआई हैं। सोनी की मेहनत से यह स्कूल को दो साल से लगातार उदयपुर जिला विद्यालय प्रतियोगिता में चैम्पियन बना है। स्कूल के बच्चे अब तक 300 ज्यादा मैडल जीत चुके हैं। जूडो में दो छात्रों ने राज्य स्तर पर एक रजत और कांस्य मेडल जीता है। साथ ही में राज्य स्तर कुश्ती में भी दो पदक जीते हैं। पिपलिया स्कूल के स्टूडेंट शोभा गमेती और पिंटू गमेती की खेल में प्रतिभा देखकर जनजाति विभाग राजस्थान सरकार ने इन्हें गोद ले रखा है।

12वीं कक्षा तक इनकी पढाई का सारा खर्चा राज्य सरकार उठाएगी। किशन सोनी का कुछ समय पूर्व इनका यहां से ट्रांसफर हो गया है लेकिन बच्चों से जुड़ाव अभी है। हाल ही में एक दंगल में यहां के छात्रों ने 20 में से 19 पदक अपने नाम किए थे। किशन सोनी बताते हैं कि एक समय था कि वे पढाई छोड़ रहे थे लेकिन उनके गुरु सुशील सेन ने उन्हें प्रेरणा दी और पढ़ाई के लिए आर्थिक सहयोग भी दिया। गुरु से मिली इस मदद को वे आदिवासी बच्चों के उत्थान में लगना चाहते हैं।