राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की ओर से किए जा रहे मूल्यांकन में उदयपुर जिला पहाड़ी क्षेत्र के कारण पिछड़ रहा है।
उदयपुर। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की ओर से किए जा रहे मूल्यांकन में उदयपुर जिला पहाड़ी क्षेत्र के कारण पिछड़ रहा है। शिक्षा अधिकारियों का मानना है कि यदि हमारी जमीन भी समतल होती तो हम काफी आगे होते। रमसा, उदयपुर के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक मदन पंवार ने बताया कि जिले का अधिकांश हिस्सा पहाड़ी है। साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों में नेट उपलब्धता का भी काफी असर पड़ रहा है वरना हमारी रैंक टॉप फाइव में आ सकती थी। उन्होंने बताया कि बिजली, पानी, खेल मैदान, नेट कनेक्शन, जमीन आवंटन, आदर्श स्कूल जैसे 30 बिन्दुओं पर यह रैंक निकाली जाती है। इसमें से अधिकांश बिन्दु भौतिक स्थिति पर निर्भर हैं। ऐसे में हमें नुकसान हो रहा है।
हालांकि हम पहुंचे 32 से 18 तक
परिषद ने 23 मार्च को मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की है। शाला दर्पण के आधार पर यह रिपोर्ट जिला रैंकिग मॉड्यूल के अनुरूप निकाली जाती है। हर तीन माह में इस रिपोर्ट को आधार मान कर शिक्षा के आधार में हो रहे सुधार की कसौटी पर परखा जाता है। 143.34 अंक लेकर उदयपुर 18वें, 141.67 अंकों के साथ डूंगरपुर 22वें, 141.64 अंक लेकर चित्तौडगढ़़ 24वें, 132.64 अंक के साथ प्रतापगढ़ 26वें, 130.44 अंक लेकर राजसमन्द 30वें और 121.91 अंक लेकर बांसवाड़ा सबसे पीछे 33वें स्थान पर रहा।
इनकी थपथपाई पीठ, इन्हें फटकार
परिषद के अतिरिक्त परियोजना निदेशक सुरेशचन्द्र ने चूरू, हनुमानगढ़, झालावाड़, कोटा , चित्तौडगढ़़, सवाई माधोपुर, बूंदी, जयपुर व गंगानगर जिले की पीठ थपथपाई, जिन्होंने 20 से 33 अंकों की बढ़ोतरी के साथ रैंक सुधारी है। दौसा, सिरोही, जैसलमेर , भरतपुर, नागौर, राजसमन्द, बांसवाड़ा, जालौर व अलवर जिले ने अभी तक केवल दो से नौ अंकों की वृद्धि की है। इन जिलों पर नाराजगी जताई है। इन जिलों से अप्रेल 2018 तक की पूरी कार्ययोजना मांगी है। साथ ही चेताया है कि यदि जल्द ही सुधार नहीं हुआ तो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।