Banswara : 25 Million rupees yearly commission in school uniform business स्‍कूल ड्रेस के बाजार में सालाना ढाई करोड़ की दलाली

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Banswara : 25 Million rupees yearly commission in school uniform business स्‍कूल ड्रेस के बाजार में सालाना ढाई करोड़ की दलाली

Banswara : जिले के पेरेंट्स हर साल करीब ढाई करोड़ की दलाली चुका रहे हैं। जानकर अचरज होगा, लेकिन यह कड़वी हकीकत है। निजी स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की यूनिफॉर्म की आड़ में कमीशन का यह धंधा चल रहा है।

कुछ निजी स्कूल संचालकों व दुकानदारों की मिलीभगत में अभिभावकों की जेब कट रही है। पत्रिका टीम ने लगातार सात दिनों तक इस गोरखधंधे पर नजर रखी। दुकानदारों से स्कूल संचालक और स्कूल संचालकों से दुकानदार बनकर बातचीत की तो दलाली के इस खेल की परत-दर-परत खुलती गई। इस खेल में 15 से 20 प्रतिशत कमीशन की बात सामने आई है।

पहले डिजाइन तय, फिर कमीशन की बात

स्कूल यूनिफॉर्म में मौजे, शूज, पेंट-शर्ट, स्कर्ट, टाई, स्वेटर, ब्लेजर में कमीशन का खेल चल रहा है। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह इसके ठौर हैं। स्कूल से आने का नाम लेते ही कैटलॉक सामने रख दिया जाता है। यूनिफॉर्म की डिजाइन तय होने के बाद चलता है कमीशन तय करने का खेल, जिसमें कोई 15 तो कोई 20 फीसदी में राजी हो रहा है। यह कमीशन अभिभावकों की ओर से खरीदी जाने वाली सामग्री में दर बढ़ाकर जोड़ा जाता है।

दुकानदार ने सिखाया मुनाफा कमाना

शहर के एक व्यापारी से यूनिफॉर्म का ऑर्डर बुक कराने पहुंचे तो करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। उन्होंने 80 विद्यालयों से बंधे कमीशन को स्वीकारा। उन्होंने यूनिफॉर्म के ठेके एवं कमीशन के दो विकल्प बताए। पहला यहीं पर स्टॉक रखवाकर अभिभावकों को बेचने का तो दूसरा अपने स्कूल सामग्री ले जाकर वितरण। व्यापारी ने स्पष्ट कहा कि हम प्रति ड्रेस सीमित मात्रा में कमीशन दे देंगे, लेकिन आप यदि अपने स्तर पर इसकी बिक्री करते हो तो मुनाफा बढ़कर 25 फीसदी भी पहुंच सकता हैं, यह आपके अपने स्तर का मामला है।

मंगल-शनि को भी अलग हो ड्रेस

यूनिफॉर्म की डिजाइन तय करने के बाद व्यापारी ने आगे बढ़कर एक नया कमीशन का विकल्प सुझाया। उनका कहना था कि यह तो प्रतिदिन की यूनिफॉर्म हुई है। मंगलवार व शनिवार को लोवर- टी शर्ट भी आप रख सकते हो, जिस पर अच्छा कमीशन मिल जाएगा।

ऐसे तय होती है दर

एक व्यापारी ने शहर के 35 विद्यालयों की सप्लाई की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यूनिफॉर्म की राशि साइज नंबर के साथ तय होती हैं। ऑर्डर पर 20 नंबर से 42 नंबर तक के यूनिफॉर्म कक्षावार तैयार करते हैं, साइज बढऩे के साथ ही दर में बीस से तीस रुपए की बढ़ोतरी हो जाती हैं।

पेंट-शर्ट की न्यूनतम राशि साढ़े तीन सौ से अधिकतम एक हजार रुपए तक हैं। टीशर्ट- लोवर की न्यूनतम 400 से अधिकतम 550 तक हैं। इसी प्रकार से बच्चियों के यूनिफॉर्म की दर भी 500 पार पहुंचती हैं। बाजार में गिनती की दुकानों पर शिक्षण संस्थाओं की बंधी होने से अभिभावक भी फिक्स रेट में फंसे हुए हैं।

ये कमीशन का फंडा

अनुमानित कमीशन – न्यूनतम 15 से अधिकतम 20 फीसदी
कुल दुकानें अनुमानित – शहर में 7
गांवों में – बीसियों दुकानदार सक्रिय
एक विद्यार्थी पर न्यूनतम वार्षिक खरीदी – 2 हजार
नामांकन के अनुसार कुल खरीदी – करीब 17 करोड़
न्यूनतम 15 फीसदी कमीशन की राशि – करीब ढाई करोड़ रुपए