पहली कक्षा में 7 साल तक के बच्चे को मिलेगा प्रवेश

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एंट्री लेवल पर नियम बदलने से गरीबों को मिलेगा फायदा

डूंगरपुर। आरटीई के तहत निशुल्क प्रवेश पाने वाले बच्चों को लेकर सरकार ने बड़ी रियायत दी है। अब कक्षा प्रथम से शुरू होने वाले स्कूल में आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले बालक की अधिकतम उम्र सीमा छह से बढ़ाकर सात साल कर दी है। इससे अधिक उम्र के चक्कर में निशुल्क प्रवेश पाने से वंचित होने वाले कई बच्चों को इसका फायदा मिलेगा। जिले में 2012 में आरटीई कानून के तहत हर निजी स्कूलों में गरीब तबके के बच्चों का 25 प.्रतिशत सीटों पर नि:शुल्क प्रवेश होता आया है। इन बच्चों का खर्चा सरकार वहन करती है, लेकिन इसका लाभ लेने के लिए सरकार ने माता-पिता गरीब होने के साथ-साथ स्कूल में प्रवेश पाने वाले बालक की उम्र भी निर्धारित कर रखी है। इसमें प्रमुख रूप से एलकेजी कक्षा से शुरू होने पढ़ाई वाले स्कूल में प्रवेश के लिए पिछले साल तक छात्र-छात्रा की उम्र तीन साल से अधिकतम चार साल तक की तय कर रखी है। वहीं यूकेजी में संबंधित छात्र की न्यूनतम उम्र चार साल से अधिकतम पांच साल व प्रेप में पांच साल या उससे अधिक छह वर्ष तक थी।

13 मार्च को निकलेगी ऑनलाइन लॉटरी न्यूनतम तीन साल, अधिकतम चार साल

सरकार ने इस सत्र में आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले छात्र-छात्रा की आयु सीमा में एलकेजी कक्षा को छोड़कर अन्य कक्षाओं में उम्र बढ़ाई है। इसमें एंट्री लेवल की कक्षा एलकेजी है तो उसमें प्रवेश पाने वाले छात्र की उम्र तो न्यूनतम तीन साल व अधिकतम चार साल है। वहीं यूकेजी में संबंधित छात्र की न्यूनतम साढ़े तीन साल अधिकतम पांच वर्ष है। प्रेप कक्षा में न्यूनतम उम्र साढ़े चार वर्ष से अधिकतम छह वर्ष है। इसके अलावा एंट्री लेवल कक्षा प्रथम है तो उसके लिए न्यूनतम उम्र छात्र-छात्रा की पांच वर्ष व अधिकतम सात वर्ष रखी गई है।

13 मार्च को निकलेगी ऑनलाइन लॉटरी

शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए अब 13 मार्च को ऑनलाइन लॉटरी निकाली जाएगी। इसके आधार पर स्कूल आवंटन होगा। इसके बाद अभिभावक को संबंधित स्कूल में जाकर 23 मार्च को रिपोर्ट करनी होगी। ऐसे में 24 मार्च से संबंधित स्कूल में प्रवेश शुरू हो जाएगा।

निजी स्कूलों का किया था सत्यापन

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों ने 25 प्रतिशत सीटों पर स्कूलों में निशुल्क प्रवेश दिया था। इसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से नि:शुल्क प्रवेश को लेकर सत्यापन करवाया था। सत्यापन के बाद सही पाए गए स्कूलों के लिए पुनर्भरण राशि का प्रस्ताव भेजा था। कुछ स्कूल ऐसे हैं, जिन्होंने पुनर्भरण राशि को लेकर दावा प्रपत्र शिक्षा विभाग को भेजा नहीं।

आरटीई के तहत निजी स्कूल में प्रवेश के लिए जिस किसी ने ऑनलाइन आवेदन किया है, साथ ही संबंधित का स्कूल में प्रवेश के लिए नाम आया है तो कोई भी निजी स्कूल संचालक प्रवेश को लेकर आनाकानी नहीं कर सकता है। मना करने पर अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) में शिकायत दर्ज करवा सकता है।

-देवीलाल रोत, प्रा.शिक्षा, आईटीई, अतिरिक्त परियोजना समन्वयक