जयपुर। राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से शनिवार को जारी वरिष्ठ अध्यापक विज्ञान (माध्यमिक शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा 2016 के परिणाम विवादों में फंस गया है। भर्ती प्रक्रिया के दौरान आरक्षण के मामले में भरतपुर-धौलपुर के जाट समाज और गुर्जर सहित अत्यंत पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों की समान स्थिति के बावजूद दोनों में भेदभाव बरता गया है।
दरअसल, दोनों जिले के जाट समाज को ओबीसी में आरक्षण दे दिया गया, लेकिन गुर्जर सहित 5 पिछड़ी जातियों को एक प्रतिशत आरक्षण से वंचित रखा गया है। इससे गुर्जर समाज में आक्रोश है और गुर्जर नेताओं ने सरकार पर भर्ती को जानबूझकर लटकाने का आरोप लगाया है।
भर्ती के तहत अनिवार्य विषय की परीक्षा 1 मई 2017 और ऐच्छिक विषय की परीक्षा 1 जुलाई 2017 को हुई थी। इस दौरान गुर्जर सहित अन्य जातियों के लिए एमबीसी के तहत एक प्रतिशत और भरतपुर-धौलपुर के जाटों को ओबीसी में आरक्षण लागू नहीं था।
भरतपुर-धौलपुर के जाटों को ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना 23 अगस्त 2017 को जारी हुई, जबकि एमबीसी के तहत 1 फीसदी आरक्षण की अधिसूचना 20 दिसम्बर 2017 को जारी हुई। गौरतलब है कि उपचुनाव से पहले सरकार ने रीट 2016 का परिणाम जारी किया था, जिसमें गुर्जर समाज को एमबीसी के तहत एक फीसदी आरक्षण का अलग से लाभ मिला था।
बेरोजगारों से खिलवाड़ कर रही सरकार
इधर गुर्जर नेता हिम्मत सिंह का कहना है कि परीक्षा की विज्ञप्ति के समय गुर्जर सहित पांच जातियों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण लागू था। वर्तमान में एमबीसी 1 फीसदी का आरक्षण लागू है। इसके बावजूद हमें मात्र ओबीसी का ही आरक्षण दिया जबकि धौलपुर व भरतपुर के जाटों को ओबीसी का आरक्षण विज्ञप्ति के समय नहीं होने के बावजूद आरक्षण दिया जा रहा है।
उपचुनाव से पहले थर्ड ग्रेड टीचर (रीट) भर्ती में हमें एमबीसी का 1 फीसदी का आरक्षण दिया था। सरकार व आरपीएससी के अधिकारी जानबूझकर मामले को उलझा रहे हैं, ताकि लोग न्यायालय का सहारा लें और भर्तियां अटक जाएं। सरकार राज्य के बेरोजगारों से खिलवाड़ कर रही है।