निर्धन बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने वाली नितिशा को सलाम करने पाली से बांसवाड़ा पहुंचे कद्रदान
ठीकरिया [बांसवाड़ा]। नेक काम करो तो उसके कद्रदान भी खूब मिलते हैं। कॉलेज में अध्ययन करते गरीब बच्चों को पढ़ा रही नितिशा त्रिवेदी के बारे में सुना तो पाली के सेवानिवृत्त व्याख्याता उससे प्रभावित होकर बांसवाड़ा चले आए और उसकी पीठ थपथपाने के साथ ही बच्चों की पढ़ाई में सामग्री की मदद के लिए ग्यारह हजार रुपए की सहायता भी दे गए। उल्लेखनीय है कि बांसवाड़ा जिले के ठीकरिया गांव की बीएससी में अध्ययनरत 18 साल की नितिशा ने अपनी पढ़ाई में जो कुछ अभाव भोगा उसे देखकर ठाना कि गरीबी के कारण कोई बच्चा पढ़ाई से वंचित नहीं रहे और इसी भावना से वह रोज कॉलेज से आने के बाद तीन से शाम पांच बजे तक गांव के अस्सी बच्चों को पढ़ा रही है।
इनके लिए शिक्षण साम्र्रगी की व्यवस्था भी खुद करती है। अब बच्चों की संख्या 120 हो गई है। उसके इस काम से प्रभावित होकर पाली जिले के सेवानिवृत्त व्याख्याता मीठालाल वैष्णव नितिशा की हौसला अफजाई के लिए गुरुवार को ठीकरिया पहुंचे। इस दौरान नितिशा को बच्चों को पढ़ाते देख वे खुशी से गद्गद् हो गए। बाद में उन्होंने कहा कि नीतिशा जैसे बहुत कम होते है जो इस तरह निशुल्क पढ़ाते हंै।
बुरे दिनों की यादें नितिशा की हौसला अफजाई के लिए खींच लाई
मीठालाल ने बताया कि वे स्वयं भी गरीब परिवार में जन्मे। पिता दिन में 2 रुपये मजदूरी कर घर चलाते थे। स्वयं कक्षा आठवंी तक दूसरों के घर पर आटा मांग भूख मिटाता था। कॉलेज के समय में बीकॉम में फेल हो गया। पिता ने खर्च न उठाने पाने के कारण पढ़ाई करने से मना कर दिया था तब एक प्रोफेसर जेसन ने मुझे नि:शुल्क पढ़ाया और पढ़ाई होने के बाद व्याख्याता बना। वे दिन मुझे याद आए और मैं नितिशा के नेक काम को सलाम करने चला आया।