एजुकेशन:2019 के एमफिल, पीएचडी में एडमिशन अब 2021 में ही होंगे, जीरो सेशन की नौबत
- 24 दिन पहले एडमिशन के लिए कन्वीनर बनाया, मना किया तो अब दूसरे को दी जिम्मेदारी
प्रदेश की सबसे बड़ी राजस्थान यूनिवर्सिटी शोध को लेकर गंभीर नही है। यूनिवर्सिटी में 2019 और फिर 2020 में एमफिल, पीएचडी में एडमिशन नहीं हुए। 2020 खत्म हाेने काे है और यूनिवर्सिटी ने एमपेट- 2019 कराने के लिए कन्वीनर बनाया है। जबकि 0 सेशन हाेने की नाैबत आ गई। इससे पहले भी पीएचडी में समय पर एडमिशन नही हाेने से सेशन 0 घोषित हाे चुके हैं।
समय पर एडमिशन नहीं
राजस्थान यूनिवर्सिटी में पीएचडी, एमफिल में एडमिशन के लिए हाेने वाला एमपेट एंट्रेंस टेस्ट 2019 और 2020 का नही हुआ है। लेकिन यूनिवर्सिटी ने एमपेट- 2019 का कन्वीनर बनाने का ऑर्डर निकाला है, जबकि 2020 खत्म हाेने काे है। दूसरी ओर एमपेट 2019 भी 2021 में होगा।
प्राेफेसर नहीं हाेने से सीटें घटी
राजस्थान यूनिवर्सिटी में लंबे समय से शिक्षकों के प्रमोशन नही हुए हैं। जिसका असर शोध पर पड रहा है। यूनिवर्सिटी में अब 5 ही प्रोफेसर बचे हैं। प्रोफेसर 8, एसोसिएट प्रोफेसर 6 और असिस्टेंट प्रोफेसर 4 छात्रों काे पीएचडी करवा सकते हैं। लेकिन प्रमोशन नही हाेने से सीटें कम हैं। सिंडिकेट में मामला अटका हुआ है।
राजस्थान यूनिवर्सिटी में ऑर्डर निकलने के बाद पद पर जॉइन नहीं करने का सिलसिला जारी है। इस बार एमफिल, पीएचडी में एडमिशन कन्वीनर के तौर पर प्रो. अल्पना कटेजा ने मना कर दिया। जिसके 24 दिन बाद ये जिम्मेदारी प्रो. एन के पांडे को दी गई है।
इससे पहले भी कुलपति द्वारा महाराजा कॉलेज, राजस्थान कॉलेज के प्रिंसिपल व यूनिवर्सिटी के कई पदों पर नियुक्ति के आदेश निकलने के बाद प्रोफेसर्स ने जॉइन करने से मना कर दिया था। उनका कहना था कि बिना सहमति के ही आदेश निकाला गया।
आरयू; प्रो.पांडे को बड़ी जिम्मेदारी, खाली सीटों की जानकारी ली
राजस्थान यूनिवर्सिटी में 5 साल बाद डेपुटेशन से लौटे प्रो.एन के पांडे को डीन के अलावा डायरेक्टर रिसर्च और अब एमपेट के कन्वीनर की जिम्मेदारी दी गई है। प्रो. पांडे पहले डायरेक्टर रिसर्च रह चुके हैं। वे केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा में डेपुटेशन पर गए थे। प्रो. पांडे का कहना है कि अब सभी विभागों और शोध संस्थानों से पीएचडी, एमफिल की खाली सीटों की जानकारी मांगी जाएगी, इसके बाद एंट्रेंस टेस्ट एमपेट का विज्ञापन निकाला जाएगा।