Education News 3 September 2017 : पंचायतराज सचिव प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को अवमानना नोटिस

court case and Education

Education News 3 September 2017 : पंचायतराज सचिव प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को अवमानना नोटिस

Education News : हाई कोर्ट ने अदालती आदेश का पालन नहीं करने पर प्रमुख शिक्षा सचिव नरेश पाल गंगवार और माध्यमिक शिक्षा निदेशक बीकानेर बीएल स्वर्णकार अलवर के जिला शिक्षा अधिकारी को अवमानना नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

न्यायाधीश अजय रस्तोगी अशोक गौड़ की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश बालहित शिक्षा समिति अलवर के सचिव सत्यनारायण गुप्ता की अवमानना याचिका पर दिया। अदालत ने इनसे पूछा है कि क्यों उनके खिलाफ 6 नवंबर 2015 को दिए गए आदेश का पालन नहीं करने पर अवमानना की कार्रवाई की जाए। अधिवक्ता डीपी शर्मा ने बताया कि प्रार्थी संस्था ने अपने कर्मचारियों को छठें वेतन आयोग उपार्जित अवकाश के बदले वेतन और अन्य राशि का पूरा भुगतान कर इस राशि के वितरण के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लेखाकार अन्य जांच दल से सत्यापित करा कर अनुदान के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जनवरी 2017 में भेजा था।

लेकिन उन्होंने राज्य सरकार बनाम भगवान दास मामले में 6 नवंबर 2015 को दिए आदेश के पालन में प्रार्थी संस्था को अनुदान राशि का भुगतान नहीं किया। जबकि भुगतान राशि का सत्यापन करने के बाद राज्य सरकार को केवल उसका भुगतान हीं करना था। लेकिन सरकार ने जानबूझकर अदालती आदेश का पालन नहीं किया है इसलिए दोषी अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई कर संस्था को अनुदान राशि का भुगतान कराया जाए।

तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2012

जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2012 के तहत कार्यरत शिक्षकों का स्थायीकरण नहीं करने पर दायर याचिका में आदेश की पालना नहीं करने पर पंचायतीराज सचिव, प्रारंभिक शिक्षा के निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। याचिकाकर्ता छैलसिंह अन्य की ओर से अधिवक्ता टंवरसिंह राठौड़ ने अवमानना याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि जिला परिषद चित्तौड़गढ़ द्वारा 24 फरवरी 2012 को तृतीय श्रेणी शिक्षक पद के लिए विज्ञप्ति जारी की गई, जिसके तहत आयोजित भर्ती प्रक्रिया में याचिकाकर्ताओं का चयन कर उन्हें नियुक्ति प्रदान की गई एवं वर्ष 2012 से याचिकाकर्ता निरंतर इस पद पर कार्यरत हैं उनको नियमित वेतन भी दिया जा रहा है।

कुछ समय पहले विज्ञप्ति के संदर्भ में संशोधित परिणाम जारी किया गया, जिसमें याचिकाकर्ताओं द्वारा उनके वर्ग में कट ऑफ अंक से अधिक अर्जित नहीं किए जाने के कारण उन्हें कोर्ट के पूर्व के विभिन्न निर्णयों के आधार पर सेवा में निरंतर रखा गया है, लेकिन हाल ही में पंचायतीराज विभाग द्वारा शिक्षकों का स्थायीकरण आदेश जारी किया जा रहा है, लेकिन याचिकाकर्ताओं का स्थायीकरण नहीं किया जा रहा है।

याचिकाकर्ता वर्ष 2012 से निरंतर कार्यरत है तथा कोर्ट के निर्णयों के आधार पर समायोजित कर निरंतर कार्यरत रहने का आदेश राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाना चाहिए। इस स्तर पर याचिकाकर्ताओं का स्थायीकरण आदेश जारी नहीं किया जा रहा है जो कि अनुचित विधि विरुद्ध है। इस पर राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर कोर्ट द्वारा गत 19 मई 2017 को निर्णय पारित करते हुए याचिकाकर्ताओं का तीन महीने में नियमितिकरण के स्थायीकरण का आदेश प्रदान किया गया था। तीन महीने व्यतीत हो जाने के पश्चात भी आज दिनांक तक रेस्पांडेंट द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिस पर अवमानना याचिका दायर की गई। जिस पर कोर्ट ने पंचायतीराज सचिव, प्रारंभिक शिक्षा के निदेशक जिला परिषद चित्तौड़गढ़ को अवमानना का नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।


GATE : रजिस्ट्रेशन शुरू, 5 अक्टूबर तक कर सकते हैं आवेदन

जयपुर। आईआईटी में एमटेक करने के लिए आयोजित होने वाले ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग गेट की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऑनलाइन आवेदन पांच अक्टूबर तक किए जाएंगे। एग्जाम 17 मार्च को आयोजित होगा। आईआईटी गुवाहटी ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। गेट का स्कोर रिजल्ट घोषित होने के के बाद तीन साल तक मान्य रहेगा। इसके साथ ही वेबसाइट पर इस एग्जाम की पात्रता रखने वाले स्टूडेंट्स की सूचना को भी जारी कर दिया गया है।


छात्रवृत्ति के लिए अब 30 तक कर सकते हैं आवेदन

जयपुर। केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन) के अध्ययनरत छात्रों के लिए वर्ष 2017-18 में प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक और मेरिट कम-मीन्स छात्रवृत्ति योजना में 30 सितम्बर तक आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ छात्रों काे आधार कार्ड, पूर्व कक्षा की अंकतालिका, बैंक पास बुक की फोटो, आई एफएससी कोड और आय प्रमाण पत्र लगाना होगा। पात्र छात्रों के आवेदन प्राप्त कर सत्यापन के बाद अग्रेषित करने की जिम्मेदारी संबंधित संस्था प्रधान की होगी। जो शिक्षण संस्थाएं (पोस्ट मैट्रिक योजना के तहत) अभी तक संबंधित विभाग में पंजीकृत नहीं हैं उन्हें पंजीकरण कराना जरूरी होगा।


एलडीसी के 100 पदों पर भर्ती होगी, 1997 के बाद से अब तक नहीं हुई थी प्रॉसेस

अजमेर। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में 100 पदों पर एलडीसी की भर्ती होगी। बोर्ड अध्यक्ष प्रो. बीएल चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार से एलडीसी पदों पर भर्ती की हरी झंडी मिल गई है। इसके लिए राजस्थान अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को पत्र लिखा गया है। गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में 1997 के बाद से अब तक एलडीसी पदों पर भर्ती नहीं हुई है। बोर्ड में एलडीसी के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं।


पुराने जूते-चप्पलों को देते हैं नया लुक, नंगे पांव स्कूल जाने वाले बच्चों देते हैं बांट

उदयपुर/मुंबई। अक्सर लोग जूते-चप्पल पुराने होने पर फेंक देते हैं। लेकिन राजस्थान के उदयपुर निवासी श्रीयंस भंडारी और उत्तराखंड के गढ़वाल निवासी रमेश धामी पुराने जूते-चप्पलों को नया लुक देकर उन मासूमों को पहना रहे हैं, जो नंगे पांव स्कूल जाने को मजबूर हैं। वे बेकार पड़े जूते और चप्पलों को पहले रिसाइकिल कर चप्पल बनाते हैं, फिर स्कूल, कॉलेज, झुग्गी बस्तियों और गांवों में बच्चों को बांटते हैं। ऐसा वे पिछले तीन साल से कर रहे हैं। अब तक चार राज्यों में 50 हजार से ज्यादा बच्चों को चप्पल पहना चुके हैं। उनका लक्ष्य 2017 में इस आंकड़े को एक लाख तक पहुंचाना है। इस काम के लिए उन्होंने ‘ग्रीन सोल’ नाम की कंपनी भी बनाई है, जिसका हेड ऑफिस मुंबई में है। कंपनी के वॉलंटियर्स देश के 15 राज्यों के 50 बड़े शहरों में पुराने जूते-चप्पलों का कलेक्शन करने का काम कर रहे हैं।  ग्रीन सोल के को-फाउंडर श्रीयंस भंडारी ने बताया कि हमने 2014 में पुराने और बेकार जूते-चप्पलों को दोबारा नया लुक देकर ऑनलाइन बेचने का स्टार्टअप शुरू किया था। इसी दौरान एक दिन आइडिया आया कि क्यूं न उन बच्चों को चप्पल मुहैया कराएं, जो नंगे पांव स्कूल जाते हैं। इससे न केवल जरूरतमंद बच्चों की मदद होगी, बल्कि पर्यावरण प्रदूषण को भी कम किया जा सकेगा। इसके लिए मैं और रमेश सबसे पहले जूते बनाने वाली फैक्ट्रियों में गए। वहां जूतों की मरम्मत का काम देखा। फिर मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरू में स्पोर्ट्स एकेडमी, बड़े स्कूलों, कॉलेजों, संस्थाओं और निजी कंपनियों से संपर्क कर पुराने जूते-चप्पल जुटाना शुरू किया। सबसे अधिक जूते बेंगलुरू और दिल्ली से मिलते हैं। रिसाइकिल के काम के लिए हमने 10 कर्मचारी भी रखे हैं। रिसाइकिल के दौरान हम जूते और चप्पलों के सोल को निकालकर उन्हें री-डिजाइन कर चप्पल बनाते हैं।

आगे उन्होंने बताया कि फिलहाल, हम रिसाइकिल चप्पलों को गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और असम में जरूरतमंद बच्चों को दे रहे हैं। हर महीने औसत एक हजार चप्पल बच्चों को पहनाते हैं। इसके अलावा अब हम ऑनलाइन रिटेल बिजनेस भी शुरू कर रहे हैं। इससे होने वाली आय को भी हम जरूरतमंद बच्चों को चप्पल मुहैया कराने में लगाएंगे।यही नहीं, हमने कुछ सेलिब्रिटी से बात की है, उनके जूतों का ऑक्शन कर मिलने वाले पैसे से चप्पल बनाएंगे। इस काम में कई कार्पोरेट कंपनियां हमारी मदद कर रही हैं। देश के करीब 80% हिस्सों में लोग हमारे वॉलंटिंयर्स को पुराने जूते-चप्पल खुद ही भेजते हैं।

भारत में 5% लोग हर साल 8,000 रु. से ज्यादा के जूते पहनते हैं

दुनिया में करीब 35 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जिनके पास जूते-चप्पल नहीं हैं। जबकि, हर साल करीब 35 करोड़ स्पोर्ट्स शूज फेंके जाते हैं। चप्पल नहीं पहनने से हर साल करीब 20 लाख लोगों को सॉइल ट्रांसमिटेड बीमारी होती है। वहीं, करीब 56% भारतीय, साल में 1,000 रु. से कम रु. चप्पल पर खर्च करते हैं। 26% लोग 1,000-8,000 रु. और 5% लोग 8,000 से ज्यादा रुपए जूते-चप्पल पर खर्च करते हैं।