बीकानेर। राजस्थान के करीब 15 प्रतिशत विद्यार्थी डिजिटल शिक्षा व इंटरनेट की पहुंच से बाहर हैं। ऐसे में इन विद्यार्थियों को डिजिटल लर्निंग के माध्यम से नहीं जोड़ा जा सकता। यह जानकारी सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विभिन्न राज्यों के प्रशासनिक प्रतिनिधियों के साथ हुई बातचीत में उभरकर आई।
शिक्षा सचिव अनीता करवाल की अध्यक्षता में कोविड-19 के दौरान शिक्षा के तंत्र में राष्ट्रव्यापी बदलावों की संभावना पर विचार किया गया। इसमें कई राज्यों ने शिक्षा के लिए डिजिटल वातावरण बनाने के लिए केन्द्र सरकार से अतिरिक्त फंड की जरूरत भी बताई। बैठक के दौरान ऐसी किसी वित्तीय सहायता की हामी तो नहीं भरी गई, लेकिन राज्यों को समग्र शिक्षा अभियान के आईटीसी हैड एवं बालिका शिक्षा में से जरूरी फंड की व्यवस्था करने की संभावना देखने के संकेत दिए गए हैं।
इंटरनेट के जरिए डिजिटल वातावरण बनाने में तीन राज्यों में सर्वाधिक मुश्किलें बताई हैं, इनमें राजस्थान के साथ झारखण्ड और अरुणाचल प्रदेश भी शामिल हैं, जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत कमजोर है और विद्यार्थियों के पास जरूरत के उपकरण भी नहीं हैं।
इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राज्यों को डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) चैनलों के इस्तेमाल में भी भागीदारी करने की सलाह दी है। बैठक के दौरान बताया गया कि इन चैनलों पर क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण कार्यक्रम भी दिए जा सकते हैं। इसके साथ ही ताकीद की गई है कि सिलसिलेवार शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के दौरान शुरूआत में किसी भी सूरत में स्कूल का समय प्रतिदिन अधिकतम तीन घंटे रखा जाए।
स्कूलें खोलने की तारीख राज्य तय करेंगे
राज्यों को इस बात की स्वतंत्रता दी गई है कि स्कूलों को खोलने की तिथि राज्य अपने स्तर पर तय कर सकते हैं। एक बार गृह मंत्रालय से स्कूलों को फिर से नियमित चालू करने का संकेत मिलने के बाद ही राज्य यह तारीख तय पाएंगे। गौरतलब है कि मार्च के आखिर से कोविड-19 के खतरे को देखते हुए स्कूलों को अचानक बंद कर दिया गया था, तब से स्कूल बंद ही पड़े हैं।
साभार