ताले तो खुल गए, तालिम हो रही भगवान भरोसे

Education Shiksha Vibhag

जिले के 114 विद्यालयों में नहीं अध्यापक

प्रतिनियुक्ति के भरोसे भविष्य

बाड़मेर। कहने को तो इन विद्यालयों के ताले खुले चुके हैं, लेकिन तालिम अभी भी भगवान भरोसे ही है। शिक्षक विहीन विद्यालयों में इक्के-दुक्के शिक्षकों के भरोसे शिक्षण चल रहा है तो दूसरी ओर प्रतिनियुक्ति पर शिक्षक लगाने से मूल पद स्थापना वाले विद्यालयों में भी शिक्षकों का टोटा हो गया है। यह स्थिति एक-दो नहीं जिले के 114 सरकारी विद्यालयों की है। शिक्षा की दृष्टि से पिछडे़ बाड़मेर जिले में शुरू से शिक्षण व्यवस्था लचर रही है। पहले विद्यालयों की कमी थी। पढऩे के लिए विद्यार्थियों को कई किमी पैदल सफर करना होता था, अब पग-पग पर विद्यालय तो खुल गए, लेकिन अध्यापकों का टोटा है। यह स्थिति सालों से है। वर्तमान में भी जिले में प्राथमिक शिक्षा के तहत 114 विद्यालयों में शिक्षक ही नहीं है। इनमें से चार तो उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां कम से कम आठ का स्टाफ होना चाहिए।

यूं बर्बाद हो रही पढ़ाई

शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों पर लगे ताले खुलवा यहां शिक्षक तो लगा दिए, लेकिन वे प्रतिनियुक्ति पर हैं। इसके चलते अधिकांश स्कूलों में एक-एक शिक्षक ही कार्यरत है। उसके जिम्मे पांच कक्षाएं होने से वह पढ़ाई से ज्यादा बच्चों को विद्यालय समय में रोकने का कार्य ही करते हैं। दूसरी ओर जिन विद्यालयों से इन शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर लगाया हैं, वहां भी स्टाफ कम हो गया।

बॉर्डर की स्थिति खराब

जिन विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं, उनमें से अधिकांश बॉर्डर के हैं। विशेषकर शिव, चौहटन, बाड़मेर व बायतु ब्लॉक की यह स्थिति है। यहां वैसे भी शिक्षक कम लगते हैं, एेसे में शिक्षकों का टोटा चल रहा है। अब प्रतिनियुक्ति की स्थिति से भी इन ब्लॉक के बच्चों को रुबरु होना पड़ रहा है।

वैकल्पिक व्यवस्था

– जिले में शिक्षक विहीन विद्यालयों में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। शिक्षकों की नई भर्ती में इन विद्यालयों को प्राथमिकता देकर शिक्षक लगाए जाएंगे। हाल ही में हुई शिक्षक भर्ती में भी दूरस्थ व शिक्षक विहीन विद्यालयों को प्राथमिकता दी गई।

– गोपालसिंह सोढ़ा, जिला शिक्षा अधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा