mhrd.gov.in शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय
भारत में शिक्षा राज्य और केन्द्र दोनों का सम्मिलित दायित्व है। इसके लिए हर राज्य में एक शिक्षा विभाग है और देश के सभी राज्यों के शिक्षा विभागों के समन्वय से शिक्षा नीतियां और शिक्षा व्यवस्थाएं लागू करने के लिए केन्द्र सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय है।
यह मंत्रालय मुख्यत: दो स्तर पर काम करता है, पहला है स्कूली शिक्षा औ दूसरा है उच्चतर शिक्षा। स्कूली शिक्षा के तहत देशभर में खुले सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय आते हैं और उच्चतर शिक्षा के तहत महाविद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर के संस्थान।
इन संस्थानों के जरिए शिक्षा की नीतियां बनाना, उन्हें लागू करना और योजनाएं बनाने के इतर शिक्षा विभाग का कार्य मानव संसाधन यानी देश के युवाओं की कार्यकुशलता, उनकी गुणावत्ता में सुधार लाने का भी है। साथ ही सामाजिक विकास, समावेशन, ज्ञान और पारदर्शिता के लिए प्रौद्योगिकी, सहयोग, विधायी एवं नीति, सामुदायिक कार्य और नई शिक्षा नीति तैयार करने जैसे कार्य भी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी में हैं।
शिक्षा किसी भी देश और राज्य का प्रमुख दायित्व है, ठीक स्वास्थ्य और सुरक्षा की तरह। यही कारण है कि शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा पुलिस विभाग की पहुंच लगभग हर गांव तक होती है।
राजस्थान में भी सर्वशिक्षा अभियान की शुरूआत यानी 2002 से लेकर अब तक, जब राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान पूरी गति से चल रहा है, हर गांव तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की है। हालांकि विभाग अब भी शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है, फिर भी हर साल नामांकन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट के कुछ महत्वपूर्ण लिंक
हिंदी भाषा में वेबसाइट को खोलने के लिए http://mhrd.gov.in/hi
जैसा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का ध्येय वाक्य है कि “भारत का भविष्य् – अवसरों से भरपूर विश्व का सबसे बड़ा जीवंत लोकतंत्र। आंखों में आशा और अध्यीयन की चाह के साथ इस महान राष्ट्र के युवा, शिक्षा में विश्ले ष्णाभत्म क कौशल के साथ ज्ञान वर्धन, तर्कसंगत विवेचना और यथार्थ से आगे की कल्पाना क्षमता के साथ शिक्षा के नए प्रतिमान की प्रतीक्षा करता है।“
प्राथमिक शिक्षा : https://seshagun.gov.in/hi
हमारे गणतंत्र के प्रारंभ से ही सभी के लिए समान अवसरों के प्रावधान के माध्यम से सामाजिक ताने-बाने के सुदृढ़ीकरण हेतु सार्वभौमिक प्रारंभिक शिक्षा (यूईई) की भूमिका को स्वीकार किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार किए जाने के साथ ही भारत ने कई योजनागत एवं कार्यक्रम अंत:क्षेपों के माध्यम से यूईई के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक कार्यक्रम प्रारंभ किए है। प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण हेतु सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) का कार्यान्वयन भारत के मुख्य कार्यक्रम के तौर पर किया जा रहा है।
इसके समग्र लक्ष्यों में शामिल है-सार्वभौमिक सुलभता एवं प्रतिधारण, शिक्षा में सामाजिक श्रेणी एवं बालक-बालिका के अंतरों को दूर करना तथा बच्चों के अधिगम स्तरों में बढ़ोतरी। सर्व शिक्षा अभियान मे विविध प्रकार के अंत:क्षेपों का प्रावधान किया गया है जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ नए स्कूलों का निर्माण एवं खोला जाना, अतिरिक्त अध्यापक, नियमित अध्यापक, सेवा-कालीन प्रशिक्षण, नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकें, वर्दियां सुनिश्चित करने के लिए अकादमिक संसाधन सहायता एवं अधिगम परिणामों में सुधार करने के लिए नि:शुल्क सहायता प्रदान किया जाना शामिल है।
नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम,2009 न्यायोचित कानूनी ढांचे का प्रावधान करता है जो 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य प्रवेश, उपस्थिति और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का अधिकार देता है। यह बच्चों के साम्यता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों पर आधारित अधिकार के लिए प्रावधान करता है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि बच्चों को ऐसी शिक्षा का अधिकार देता है जो डर, दबाव और चिंता से मुक्त है।
माध्यमिक शिक्षा : https://mhrd.gov.in/hi/higher_education
वर्तमान में नीति गुणवत्ता परक माध्यमिक शिक्षा 14-18 की आयु वर्ग के सभी युवाओं को उपलब्ध कराने, सुलभ करने और उनके सामर्थ्य को विकसित किए जाने की है। वर्तमान में माध्यमिक स्तर पर लक्षित निम्नलिखित योजनाएं (अर्थात कक्षा IX से XII) केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के रूप में कार्यान्वित की जा रही हैं :
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) समेकित
महिला छात्रावास योजना
स्कूलों में आईसीटी
माध्यमिक स्तर पर नि:शक्तजनों के लिए समेकित शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा की योजना
व्यावसायिक शिक्षा की योजना
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें http://rmsaindia.org/en/
मॉडल स्कूल योजना
राष्ट्रीय साधन-सह-मेरिट छात्रवृत्ति योजना
बालिकाओं को राष्ट्रीय प्रोत्साहन
भाषा शिक्षकों की नियुक्ति
उपयुक्त के अतिरक्त केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस), नवोदय विद्यालय संगठन (एनवीएस), केन्द्रीय तिब्बती स्कूल प्रशासन (सीटीएसए), भारत-मंगोलिया स्कूलों की केन्द्र क्षेत्र योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं।