भारत और फ्रांस के बीच मजबूत एवं दीर्घकालिक संबंधों को रेखांकित करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दोनों देशों के बीच ‘शैक्षणिक योग्यताओं की परस्पर स्वीकृति‘ पर समझौता ज्ञापन को‘ऐतिहासिक‘ करार दिया है।
उन्होंने नई दिल्ली के प्रवासी भारतीय भवन में नॉलेज शिखर सम्मेलन में फ्रांस की उच्च शिक्षा, अनुसंधान एवं नवोन्मेषण मंत्री श्रीमती फ्रेडरिक विडाल की उपस्थिति में कहा ‘यह ऐतिहासिक है। पहली बार ‘शैक्षणिक योग्यताओं की परस्पर स्वीकृति के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह छात्र समुदाय की सहायता करेगा। पहले केवल दो संस्थानों के बीच में ही द्विपक्षीय समझौते हुआ करते थे।‘
श्री जावड़ेकर ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि फ्रांस की तरह अधिक से अधिक देश शैक्षणिक योग्यताओं की परस्पर स्वीकृति के लिए सामने आएंगे जिससे कि छात्रों एवं पेशेवर व्यक्तियों की गतिशीलता में सुधार हो सके।‘
पहली भारत और फ्रांस उच्च स्तरीय नॉलेज शिखर सम्मेलन, 2018 का आयोजन फ्रांस के उच्च शिक्षा, अनुसंधान एवं नवोन्मेषण मंत्रालय (एमईएसआरआई) एवं भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ साथ भारत में फ्रांस के संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।
इसकी जानकारी देते हुए कि फ्रांस में 5000 से अधिक भारतीय छात्र और भारत में फ्रांस के लगभग 1500छात्र अध्ययन कर रहे हैं, मंत्री महोदय ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय अन्य देशों से भारत में अधिक से अधिक छात्रों को आकर्षित करने के लिए ‘स्टडी इन इंडिया‘ पहल आरंभ करेगा।
भारत और फ्रांस के बीच शैक्षणिक योग्यताओं की परस्पर स्वीकृति पर समझौता ज्ञापन के अतिरिक्त, उच्च शिक्षा, अनुसंधान, नवोन्मेषण, संकाय विनिमय वैज्ञानिक सहयोग के क्षेत्रों में भारत और फ्रांस के विभिन्न संस्थानों के बीच लगभग 15 एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
मंत्री महोदय ने इस अवसर पर भारत सरकार द्वारा नवोन्मेषण, अनुसंधान एवं भारत में शिक्षा तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए ‘इंप्रिंट‘, ‘ज्ञान‘, ‘स्वयम‘ एवं पीएमआरएफ जैसी विभिन्न पहल की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ‘ज्ञान‘, एक ऐसी पहल है जिसमें विदेशी संकाय भारत का भ्रमण करते हैं और कुछ विशिष्ट उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय छात्रों के अनुकूल पाठ्यक्रमों का संचालन करते हैं। इसके तहत, पिछले वर्ष फ्रांस के लगभग 30 संकाय सदस्यों ने पाठ्यक्रमों का संचालन करने के लिए भारत का दौरा किया था और इस संख्या में और बढोतरी होने की उम्मीद है।
भारत के अपने एमओओसी ‘स्वयम‘ के तहत, 700 से भी अधिक पाठ्यक्रम पहले ही आरंभ किए जा चुके हैं और लगभग 2 मिलियन छात्रों, संकायों एवं प्रोफेशनलों ने विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए खुद का पंजीकरण कराया है। उन्होंने कहा कि ‘किसी एटीएम (एनी टाइम मनी) की तरह ‘स्वयम‘ एटीएल (एनी टाइम लर्निंग) और एडब्ल्यूएल (एनी व्हेयर लर्निंग) है।‘
किसी देश की प्रगति में नवोन्मेषण एवं अनुसधान के महत्व को रेखांकित करते हुए, श्री जावड़ेकर ने कहा कि उनका मंत्रालय अनुसंधान एवं नवोन्मेषण पर विशेष जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि ‘इंप्रिंट, जो नवोन्मेषण के10 डोमेन अग्रिम क्षेत्रों में संकायों, छात्रों, प्रोफेशनलों एवं अन्य द्वारा नवोन्मेषण के लिए एक खुला आमंत्रण है,के तहत हाई-एंड अनुसंधान एवं नवोन्मेषण प्रस्तावों के वित्तपोषण के लिए 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इसके अतिरिक्त, पीएमआरएफ के तहत प्रत्येक वर्ष लगभग 1000 छात्रों को प्रति महीने प्रति छात्र अत तक का सर्वाधिक 70 हजार रुपये से 80 हजार रुपये तक के छात्रवृत्ति की पेशकश की जाएगी। इन पहलों के अतिरिक्त, मंत्रालय ने पिछले वर्ष से स्मार्ट इंडिया हैकथन आरंभ किया है। पिछले वर्ष 2000 टेक्निकल एवं इंजीनियरिंग महाविद्यालयों से कुल 42,000 छात्रों ने इसमें भाग लिया। इस वर्ष लगभग एक लाख छात्र पहले ही इसमें भाग ले चुके हैं।
फ्रांस की उच्च शिक्षा, अनुसंधान एवं नवोन्मेषण मंत्री श्रीमती फ्रेडरिक विडाल ने कहा कि नॉलेज शिखर सम्मेलन 2020 तक फ्रांस में 10,000 छात्रों को आकर्षित करने के फ्रांस की सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य की दिशा में एक अनिवार्य कदम है। पिछले वर्ष, 5000 से अधिक भारतीय छात्रों ने फ्रांस को अध्ययन गंतव्य के रूप में चुना था जो पिछले वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक है।
इस शिखर सम्मेलन में सहयोग के लिए सात प्राथमिकता क्षेत्रों की खोज की गई है: अंतरिक्ष एवं वैमानिकी,गणित एवं सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि विज्ञान एवं खाद्य प्रसंस्करण, पारिस्थितिकी-ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन एवं जैव सक्रिय यौगिक, वास्तु कला एवं शहरी नियोजन और शहरी गतिशीलता।
मंत्रिमंडल ने ‘‘अकादमिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता’ के संदर्भ में भारत और फ्रांस के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ‘‘अकादमिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता’’ के संदर्भ में और दोनों देशों में स्वीकृत, मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के अध्ययन की अवधि के लिए भारत और फ्रांस के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर को मंजूरी दे दी है। समझौते पर फ्रांस के राष्ट्रपति की आगामी भारत यात्रा के दौरान हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
समझौते पर हस्ताक्षर से भारत और फ्रांस के बीच शैक्षणिक संबंधों को और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी और लंबे समय तक दोनों देशों के बीच शैक्षिक सम्बन्धों को बढ़ावा मिलेगा। समझौता दोनों देशों के छात्रों को एक दूसरे के यहां आने-जाने के लिए प्रोत्साहित करने में सहायक सिद्ध होगा और छात्र दूसरे देश में अध्ययन जारी रखने की संभावनाएं तलाश सकेंगे। इससे नई साझेदारी/सहयोगों तथा अनुसंधान गतिविधियों के जरिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा जिससे भारत में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
इम्प्रिंट-II के अंतर्गत 16 मार्च से प्रस्ताव आमंत्रित किए जाएंगे
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज कहा है कि देश में शोध व अनुसंधान तथा नवोन्मेष को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से केन्द्रीय सरकार ने इम्प्रिंट-II (इम्पैक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी) इंडिया कार्यक्रम के तहत 1000 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की है।
आज नई दिल्ली में आयोजित हुए विजिटर कांफ्रेंस में मंत्री महोदय ने कहा कि इम्प्रिंट-II के अंतर्गत विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक साथ मिलकर एक कोष का निर्माण किया है। इसमें उद्योग जगत से और अन्य मंत्रालयों से सहयोग मिलने की पूरी संभावना है। डीएसटी के सहयोग से यह परियोजना, एक पृथक कार्य योजना के रूप में संचालित की जाएगी। आईआईटी खड़गपुर के प्रो. इन्द्रनील मन्ना राष्ट्रीय समन्वयक होंगे। इम्प्रिंट-II के अंतर्गत 16 मार्च से प्रस्ताव आमंत्रित किए जाएंगे और मई महीने में प्रस्तावों को मंजूरी दी जाएगी।
इम्प्रिंट-I कार्यक्रम के अंतर्गत 318.71 करोड़ रुपये की लागत से 142 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इन परियोजनाओं में रक्षा व सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, सतत पोषणीय निवास स्थान, आधुनिक तत्व, स्वास्थ्य देखभाल, नैनो प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन आदि विषयों को शामिल किया गया है। इन सभी परियोजनाओं का प्रकाशन किया जाएगा और उन्हें पेटेंट उपलब्ध कराया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रमों में सुधार के लिए सुझाव आमंत्रित किए
छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में शीघ्र सुधार की आवश्यकता : श्री प्रकाश जावड़ेकर
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए कक्षा 1 से 12 तक के पाठ्यक्रमों में सुधार के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रमों में शीघ्र सुधार की आवश्यकता है क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य, प्रणाली से एक अच्छे व्यक्ति को तैयार करना है। शैक्षिक योग्यता के साथ जीवन कौशल, प्रायोगिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और रचनात्मक कौशल की भी आवश्यकता होती है। हमें ऐसी प्रणाली विकसित करनी चाहिए जिसमें छात्रों को इनमें से प्रत्येक विषय के लिए समय मिले और वह उस क्षेत्र में प्रगति करे जो उसे पसंद हो। श्री जावड़ेकर ने स्पष्ट करते हुए कहा कि पाठ्यक्रमों में सुधार की मांग लम्बे समय से रही है और अधिकांश लोग मानते हैं कि यह पाठ्यक्रम आवश्यकता से अधिक विस्तृत है और आधुनिक समय के अनुसार उपयुक्त नहीं है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने शिक्षकों, प्राचार्यों, स्कूल प्रबंधनों, शिक्षाविदों, अभिभावकों, छात्रों, स्वयं सेवी संस्थाओं, विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों समेत सभी हितधारकों से आग्रह करते हुए कहा कि वे इस मसले पर अपने सुझाव भेंजे।
सुझाव 5 मार्च, 2018 से 6 अप्रैल, 2018 तक लिंक http://164.100.78.75/DIGI पर भेजे जा सकते हैं। सुझाव संक्षिप्त होने चाहिए तथा दिए गए प्रारूप में ऑनलाइन भेजे जाने चाहिए। सुझाव भेजने वालों की व्यक्तिगत जानकारियां गोपनीय रखी जाएंगी।
सीबीएससी और एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम निम्न लिंकों पर उपलब्ध हैं –
http://cbseacademic.nic.in/curriculum.html
http://www.ncert.nic.in/rightside/links/syllabus.html
सुझाव मंगाने का उद्देश्य कक्षा 1 से 12 तक के विभिन्न विषयों की पाठ्य सामग्री (सीबीएससी और एनसीईआरटी) को अधिक संतुलित बनाना है।