एनसीपीसीआर ने स्कूल सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन के बारे में हितधारकों के उत्तरदायित्व पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की, जो उत्तरदायित्व तंत्र पर आधारित अपने तरह की पहली कार्यशाला है

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने आज यहां “उत्तरदायित्व तंत्र: मनोवैज्ञानिक-सामाजिक पहलुओं के संदर्भ में स्कूल सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन पर हितधारकों की जिम्मेदारी” पर एक-दिवसीय राष्ट्रीय समीक्षा और उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का आयोजन “विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह, 2022” के अवसर पर किया गया था।

राष्ट्रीय कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्कूल सुरक्षा और संरक्षा के मामले पर उन्मुखीकरण करना और इस संबंध में संबंधित अधिकारियों और हितधारकों के लिए निर्धारित उत्तरदायित्व की समीक्षा करना था। आयोग द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जा रही यह अपनी तरह की पहली कार्यशाला है। इसके अलावा, वर्ष की अगली तिमाही और अगले वर्ष में अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में, एनसीपीसीआर प्रमुख हितधारकों के साथ स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और संरक्षा को संबोधित करने के लिए क्षेत्रीय स्तर की बैठकें आयोजित करेगा।

आयोग ने एससीईआरटी, राज्य शिक्षा बोर्ड, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारियों, स्कूलों के समूह के प्रबंधन बोर्ड से प्रतिभागियों को आमंत्रित किया। कार्यशाला में लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

अपने उद्घाटन भाषण में, एनसीईआरटी के निदेशक श्री दिनेश प्रसाद सकलानी ने बच्चों के समग्र विकास के लिए ‘पंच कोष शिक्षा’ अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उत्पादकता और प्रगति के लिए मानसिक स्वास्थ्य सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का ‘आत्मनिर्भर भारत’ का विजन भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित है। उन्होंने “मानसिक स्वास्थ्य के बिना कोई स्वास्थ्य नहीं” का हवाला देते हुए मानसिक स्वास्थ्य और हितसाधन की अपरिहार्य भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने यह भी कहा कि 2022 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित हाल की सर्वेक्षण रिपोर्ट के परिणाम यह दर्शाते हैं कि स्कूली बच्चों की खुशी का घटक तुलनात्मक रूप से अधिक पाया गया।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष श्री प्रियांक कानूनगो ने बच्चों की वर्तमान स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि स्थानीय से लेकर संघीय तक सरकार के सभी स्तरों पर स्कूल सुरक्षा का मुद्दा एक प्रमुख चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि छात्रों को होने वाले शारीरिक नुकसान और मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न के बारे में रिपोर्टों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए, एनसीपीसीआर ने एनसीईआरटी और अन्य विशेषज्ञों के साथ स्कूलों द्वारा बच्चों की सुरक्षा से संबंधित उत्तरदायित्व के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए एक व्यापक मैनुअल तैयार किया। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए माता-पिता और स्कूलों पर समान जिम्मेदारी वाली एक प्रणाली को विकसित करने की जरूरत है। श्री कानूनगो ने यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 निजी स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा संबंधी उत्तरदायित्व के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को महत्व देते हैं और बाल आत्महत्या को समाप्‍त करने के लिए उनका परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।

कार्यशाला को दो तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया था। पहला तकनीकी सत्र एनसीपीसीआर द्वारा स्कूल सुरक्षा और संरक्षा के अवलोकन पर प्रस्तुति के साथ शुरू हुआ। इसके बाद एक्सप्रेशन इंडिया के कार्यक्रम निदेशक और मानसिक स्वास्थ्य तथा जीवन कौशल संवर्धन संस्थान, मूलचंद मेडसिटी के वरिष्ठ सलाहकार और प्रभारी डॉ. जितेंद्र नागपाल द्वारा लिया गया सत्र था।

दूसरे भाग में, चार अलग-अलग विषयों, अर्थात स्कूल सुरक्षा के मनोवैज्ञानिक-सामाजिक पहलू-पूरे स्कूल के दृष्टिकोण के साथ एकीकरण, छात्रों की मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सुरक्षा के लिए प्राथमिक चिकित्सा परामर्शदाता के रूप में शिक्षक, कई हितधारकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की निगरानी तथा मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सुरक्षा में पारिवार और स्कूल की प्रभावी भागीदारी पर प्रस्तुति के साथ समूह चर्चा की गई।