बाड़मेर। निरक्षरता का कलंक मिटाने के लिए शुरू की गई साक्षर भारत मिशन योजना शिक्षा के नाम पर बड़ा सवाल बन गई है। सरकार ने जिस योजना को दो माह पहले बंद करके प्रेरकों को हटा दिया था अब उसे दुबारा शुरू करके बिना पढ़ाई के निरक्षरों की परीक्षा लेने जा रही है। साक्षर भारत योजना की अंतिम परीक्षा 25 मार्च को प्रस्तावित है। इसमें जिले के करीब 35 हजार निरक्षरों को शामिल करने की योजना है, लेकिन वे बिना कोई पढ़ाई या तैयारी के यह परीक्षा देंगे। गौरतलब है कि साक्षर भारत मिशन में लगे प्रेरकों का बीते दो साल में दो बार अनुबंध खत्म किया जा चुका है। जिले के 616 प्रेरक बेरोजगार होने से लोक शिक्षा केंद्रों पर ताले लगे हैं।
वजह यह है कि जिन प्रेरकों को उन्हें पढ़ाने और परीक्षा केंद्र तक लाने की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्हें पिछले साल दिसंबर में ही हटा दिया था। तब केंद्र सरकार यह योजना 31 दिसंबर 2017 को खत्म कर रही थी। अब इस योजना को फिर 31 मार्च 2018 तक बढ़ाया है। इस दौरान जो परीक्षा ली जाएगी, वह महज औपचारिकता ही साबित होगी। योजना के तहत प्रति पंचायत 2 प्रेरक लगाने के लिहाज से जिले में कुल 616 प्रेरक नियुक्त किए गए थे। इनका काम था अपने पंचायत के तहत निरक्षरों का सर्वे करना और उन्हें पढ़ाना। इसके बाद उन्हें केंद्रों पर जाकर परीक्षा दिलाने का जिम्मा भी उनका ही था। अब तक कुल 5 परीक्षाएं हो चुकी हैं, जिनमें डेढ़ लाख निरक्षर भाग ले चुके हैं। प्रेरकों को हटाने के दो माह बाद फिर से परीक्षा ली जा रही है।
कक्षा 3 के समकक्ष मानी जाती है परीक्षा
दिलचस्प बात यह है कि निरक्षरों की इस परीक्षा का रिकॉर्ड भी शानदार रहता है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक लगभग 90 फीसदी निरक्षर इस परीक्षा में शामिल होते हैं और उनमें से 80 प्रतिशत पास हो जाते हैं। इसका रिजल्ट घोषित नहीं होता, बस सीधे मार्कशीट भेज दी जाती है। पास होने वाला व्यक्ति तीसरी पास माना जाता है और इस मार्कशीट के आधार पर वह पांचवीं की परीक्षा भी दे सकता है।
2 साल में प्रेरकों का 2 बार अनुबंध खत्म किया
बीते दो साल में दो बार प्रेरकों का अनुबंध खत्म किया। आंदोलन को देखते हुए दिसंबर 2017 तक अनुबंध बढ़ाया। दो माह से अनुबंध नहीं होने से प्रेरक घर पर बैठे हैं। देश के 50 फीसदी से कम महिला साक्षरता वाले जिलों में महिला साक्षरता दिवस पर 8 सितम्बर 2009 को साक्षर भारत कार्यक्रम शुरू किया गया था। 2001 की जनगणना को आधार माना गया।
अब सरकारी कर्मचारी कराएंगे परीक्षा
निरक्षरों की परीक्षा कौन कराएगा और कौन उन्हें केंद्र तक लाएगा। इसे लेकर दुविधा बनी हुई है। साक्षर भारत योजना की अवधि बढ़ाने को लेकर जारी पत्र में भी इसे लेकर स्पष्टता नहीं है। हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि प्रेरकों को हटाए जाने संबंधी आदेश को लागू करते ही यह परीक्षा करानी है। जिला साक्षरता अधिकारी जब्बरसिंह रावल का कहना है पीईईओ, बीईईओ व सीईओ को नोडल अधिकारी बनाया है।