उच्च शिक्षा अब जल्द ही एक नियामक के दायरे में होगी 

नई दिल्ली। अलग-अलग नियामकों के बीच बिखरी उच्च शिक्षा अब जल्द ही एक नियामक के दायरे में होगी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में इसके लिए प्रस्तावित भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन की दिशा में तेजी से पहल हुई है। अघोषित रूप से एक ट्रायल शुरू किया गया है, जिसमें उच्च शिक्षा के दो बड़े निया।मक (यूजीसी और एआईसीटीई) पिछले चार महीने से एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। साथ ही दोनों नियामकों के प्रमुख की जिम्मेदारी भी एक ही व्यक्ति को दी गई है।

पूरी उच्च शिक्षा को एक दायरे में रखा गया
माना जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्तावित आयोग से जुड़ा विधेयक भी पेश किया जा सकता है। इसकी तैयारी जोरों पर है। शिक्षा मंत्रालय ने इसके साथ ही उच्च शिक्षा के लिए हाल ही में जो क्वालीफिकेशन फ्रेमवर्क तैयार किया है, उनमें भी पूरी उच्च शिक्षा को एक दायरे में रखा गया है। इसमें छात्रों को पसंद के विषय के चयन की छूट दी गई है। साथ ही वह एक साथ दो कोर्स भी कर सकेंगे। हालांकि इनमें से दोनों ही आनलाइन या आफलाइन हो सकता है, लेकिन इनकी पढ़ाई का समय अलग-अलग होना चाहिए।

यूजीसी और एआईसीटीई के साथ एनसीटीई को एक साथ जोड़ने की तैयारी
माना जा रहा है कि यह पूरी पहल उच्च शिक्षा को एक ही नियामक के दायरे में लाने से ही जुड़ी है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक यूजीसी और एआईसीटीई के साथ ही एनसीटीई (नेशनल काउंसिल आफ टीचर्स एजुकेशन) को भी एक साथ जोड़ने की तैयारी है। इस दिशा में भी काम किया जा रहा है। गौरतलब है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मौजूदा समय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) सहित करीब 14 नियामक काम करते हैं। इनमें तकनीकी शिक्षा, शिक्षक शिक्षा, कौशल विकास से जुड़ा शिक्षा परिषद आदि शामिल हैं।

ऐसे में एक ही विश्वविद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थान को अलग-अलग कोर्सों को संचालित करने के लिए इन सभी नियामकों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। साथ ही इन सभी नियमों को पूरा करने का अलग-अलग तरीके से दबाव होता है। हालांकि प्रस्तावित भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के दायरे से मेडिकल और कानून से जुड़ी शिक्षा को अलग रखा गया है।

प्रस्तावित आयोग का कुछ इस तरह होगा स्वरूप
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित आयोग के दायरे में चार स्वतंत्र संस्थाएं भी गठित होंगी। इनमें पहली संस्था- राष्ट्रीय उच्च शिक्षा विनियामक परिषद ( एनएचईआरसी) होगी। यह उच्च शिक्षा के लिए एक रेगुलेटर की तरह काम करेगा, जिसके दायरे में चिकित्सा एवं विधिक शिक्षा को छोड़ बाकी सभी उच्च शिक्षा शामिल होगी।

दूसरी संस्था -राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी) होगी। यह नैक की जगह लेगी, जो सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का मूल्यांकन करेगी।

तीसरी संस्था -उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी) होगी जो उच्च शिक्षण संस्थानों की फंडिंग का काम देखेगी। अभी उच्च शिक्षण संस्थानों की फंडिंग का काम यूजीसी के ही पास है।

चौथी संस्था- सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी) होगी जो नए-नए शिक्षा कार्यक्रमों को तैयार करने और उन्हें लागू करने का काम देखेगी।

साभार  जागरण