निजी स्कूलों को नहीं मिली पुस्तकें

पासबुक के सहारे परीक्षा दे रहे बच्चे

उदयपुर। जिले के ज्यादातर निजी स्कूलों में राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल की छपवाई गई पुस्तकें नहीं पहुंच पाई हैं, ऐसे में निजी स्कूलों (Private schools) के विद्यार्थी पासबुक से परीक्षा तैयारी करने काे मजबूर हैं। राज्य सरकार ने जिला स्तरीय प्राथमिक शिक्षा अधिगम स्तर मूल्यांकन परीक्षा (पांचवीं बोर्ड) इस सत्र हिंदी और अंग्रेजी माध्यम वाले सभी सरकारी-निजी स्कूलों के विद्यार्थियों को परीक्षा दिलाना अनिवार्य किया है। जिले के लगभग सभी सरकारी स्कूलों में तो पुस्तकें पहुंच चुकी थी, लेकिन ज्यादातर निजी स्कूलों के लिए पुस्तकें नहीं मिली। प्रदेश में ज्यादातर निजी स्कूल अंग्रेजी माध्यम में अध्यापन कराते हैं। राज्य सरकार ने एनसीईआरटी सिलेबस के आधार पर किसी भी विषय की पुस्तक तैयार नहीं कर पाई।

परीक्षा इसलिए की थी निजी स्कूलों में भी अनिवार्य

ज्यादातर स्कूल अपने स्तर अलग-अलग पाठ्यक्रम निर्धारित कर पढ़ा रहे थे, जबकि सरकारी में एक तरह का पाठ्यक्रम संचालित था। सरकार की मंशा थी कि सरकारी-निजी दोनों में एक ही तरह का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाए। परीक्षा भी एक ही प्रश्न पत्र से हो। ऐसे में सरकार ने अंग्रेजी-हिंदी माध्यम के सभी निजी स्कूलों में यह परीक्षा दिलाना अनिवार्य कर दिया। हालांकि इस आदेश विरोध भी हुआ, लेकिन सरकार ने इस पर सख्ती बरती।

नहीं मिली तो शिकायत करें : एडीईओ

अगर निजी स्कूलों को पुस्तकें नहीं मिली हैं तो उन्हें इसकी शिकायत विभाग को तुरंत करनी चाहिए थी। हम उन्हें पुस्तक की किसी तरह व्यवस्था करवाते। अब परीक्षा नजदीक आ चुकी हैं तो इस समय उपलब्ध करा पाना मुश्किल है।

-प्रवीण मेहता, एडीईओ, प्रारंभिक

अनिवार्य की तो पुस्तकें भी समय पर देते :अध्यक्ष

ज्यादातर निजी स्कूलों को पुस्तकें नहीं मिली। पाठ्य पुस्तक मंडल से जानकारी ली गई तो उन्होंने पुस्तक होने से इंकार कर दिया। सरकारी ने निजी स्कूलों के लिए यह परीक्षा अनिवार्य की है तो पुस्तकें भी समय पर उपलब्ध करानी चाहिए थी। निजी स्कूलों के विद्यार्थी पासबुक से तैयारी करने को मजबूर हैं।

-जीतेश श्रीमाली, अध्यक्ष, निजी स्कूल एसोसिएशन

आरटीई-नॉन आरटीई के प्रत्येक बच्चों की जानकारी अपलोड करनी होगी

उदयपुर। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत जिले के निजी स्कूलों को यह बताना होगा कि उन्होंने किन-किन विद्यार्थियों को नॉन आरटीई की 25 फीसदी सीटों पर प्रवेश दिया है साथ ही बाकी 75 प्रतिशत सीटों पर प्रवेशित विद्यार्थियों की जानकारी भी अपलोड करनी होगी। जो स्कूल जानकारी सही नहीं भरेगा या फिर छिपाएगा, सरकार उस स्कूल की पुनर्भरण राशि रोकेगी। जिले के करीब 800 निजी स्कूलों को 31 जुलाई तक यह जानकारी हर हाल में www.rte.raj.nic.in वेबसाइट पर दर्ज करनी है।