निजी स्कूल किसी भी शिक्षण सामग्री पर नहीं लिख सकेंगे खुद का नाम, ये हैं नए दिशा निर्देश

private-school fees lockdown corona high court

निजी स्कूल जो दुकानों की तरह अपने परिसर में ही ये सामग्री बेचते थे, अब नहीं बेच पाएंगे।

उदयपुर। अब स्कूल परिसर में पुस्तकें, यूनिफॉर्म, जूते और टाई नहीं दी जा सकेगी। ऐसे में निजी स्कूल जो दुकानों की तरह अपने परिसर में ही ये सामग्री बेचते थे, अब नहीं बेच पाएंगे। साथ ही यदि किसी स्कूल पांच साल तक यूनिफॉर्म नहीं बदल पाएंगे। किसी भी शिक्षण सामग्री पर स्कूल का नाम नहीं लिखा जा सकेगा। यदि इन नियमों का पालना कोई निजी स्कूल नहीं करता है और किसी अभिभावक की शिकायत पर जिला शिक्षा अधिकारी इसके सही होने पर अपनी मुहर लगाते हैं, तो उस स्कूल की मान्यता तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी जाएगी। निजी स्कूल की मनमानी पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने यह पहल की है।

ये दिए हैं निर्देश

माध्यमिक शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल के अनुसार वर्तमान में निजी स्कूलों में पुस्तकों, यूनिफार्म, जूते व टाई स्कूल परिसरों में दी जा रही है, जिसकी जानकारी जुटाकर विभाग कार्रवाई करे। उन्होंने स्पष्ट किया है कि निजी विद्यालय अपने विवेक पर एनसीईआरटी , राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, निजी प्रकाशकों की ओर से प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों में से विद्यार्थियों के लिए पुस्तकों का चयन कर सकेंगे। निजी स्कूल के लिए यह अनिवार्य होगा कि शिक्षण सत्र शरू होने के कम से कम एक माह पूर्व पुस्तकों की सूची, लेखक व प्रकाशक के नाम व मूल्य के साथ सूचना पटल पर व अपनी वेबसाइट पर देनी होगी। पुस्तकों के अलावा निजी स्कूल की ओर से निर्धारित सामग्री अभिभावक खुले बाजार से खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगे। किसी भी दुकान विशेष से पुस्तकें व अन्य सामग्री खरीद का दबाव नहीं बनाया जा सकेगा। शाला परिसर में कोई भी सामग्री नहीं बेची जा सकेगी। निजी स्कूल की ओर से तय पुस्तकें कम से कम तीन स्थानीय विक्रेताओं के पास उपलब्ध होनी चाहिए।

आदेश का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा

यदि कोई स्कूल इन नियमों का पालन नहीं करती है, तो अभिभावक इसकी शिकायत विभाग में दर्ज करवा सकेंगे। स्कूलों को इस आदेश का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा। कोई स्कूल अपनी मनमानी करता है, तो उसे इसका नुकसान भुगतना होगा।

-नरेश डांगी, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक प्रथम उदयपुर