मनमानी कर रहे निजी विद्यालयों की निरस्त होगी अब मान्यता

निजी स्कूलों के खिलाफ सख्त हुआ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड : डीईओ को दिए फीस निर्धारण समिति व अन्य व्यवस्थाएं जांचने के आदेश

राजसमंद। बेलगाम हो चुके प्रदेश के निजी स्कूलों (private schools) की मनमानी पर अब नकेल कसी जा सकेगी। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सभी जिला शिक्षाधिकारियों (माध्यमिक) को आदेश जारी करते हुए कहा है कि स्कूलों में गठित फीस कमेटी, डे्रस, किताबें, कॉपी आदि से संबंधित सभी नियमों की सख्ती से जांच करें। दोषी पाए जाने वाले स्कूलों (किसी भी बोर्ड या मंडल का हो) की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई प्रेषित करें। २९ मार्च २०१८ को माध्यमिक शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल ने प्रदेश के सभी उपनिदेशकों, जिलाशिक्षाधिकारियों को इसका आदेश जारी किया है।

यह दिए आदेश

जारी आदेश में डिडेल ने लिखा कि प्रत्येक निजी विद्यालय द्वारा स्वयं की बेवसाइट संचालित की जाएगी। स्कूल के पास बेवसाइट न होने पर सभी जानकारी नोटिस बोर्ड पर आवश्यक रूप से लगाई जाए। निजी विद्यालय अपने विवेकानुसार एनसीआरटी/ राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल/ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड/ निजी प्रकाशकों द्वारा पाठ्यक्रम के अनुसार प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों में से विद्यार्थियों के शिक्षण के लिए पुस्तकों का चयन कर सकेंगे। लेकिन उनके लिए अनिवार्य होगा कि वे शिक्षण सत्र प्रारम्भ होने से कम से कम एक माह पूर्व पुस्तकों की सूची, लेखक एवं प्रकाशक कानाम तथा मूल्य की सूची अपने विद्यालय के नोटिस बोर्ड, बेवसाइट पर लगाएं। और शाला के अभिभावकों, विद्यार्थियों द्वारा मांगने पर उन्हें उपलब्ध करवाएंगे। ताकि अभिभावक अपनी सुविधा के अनुसार इन पुस्तकों की खरीदारी खुले बाजार से कर सके। साथ ही अभिभावक पुस्तकों के अलावा निजी विद्यालयों द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म, टाई, जूते, कॉपियां आदि भी खुले बाजार से क्रय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। किसी भी शिक्षण सामग्री पर विद्यालय का नाम अंकित नहीं होगा। किसी भी दुकान विशेष से पुुस्तकों के क्रय का दबाव नहीं बनाया जाएगा। शाला परिसर में पुस्तकों या अन्य सामग्री का विक्रय नहीं किया जाएगा। निजी विद्यालयों द्वारा विद्यार्थियों को निर्धारित की जाने वाली यूनिफॉर्म न्यूनतम ५ वर्षों तक नहीं बदली जाएगी। विद्यालय यह निश्चित करें कि विद्यार्थियों के लिए अनुशंषित की जाने वाली पाठ्य पुस्तकें यूनिफॉर्म एवं अन्य सामग्री न्यूनतम ३ स्थानीय विके्रताओं के पास उपलब्ध होनी चाहिए। इस मार्गदर्शी सिद्धांतों की सख्ती से पालना करवाई जाए। नहीं करने वाले विद्यालयों की (चाहे वे किसी भी बोर्ड से सम्बद्धता रखते हों) मान्यता समाप्ति के लिए नियमानुसार प्रस्ताव तत्काल प्रेषित किए जाएं।

फीस वृद्धि पर 10 वर्ष की करें तुलना

आदेश में कहा गया है कि ध्यान में आया है कि कुछ निजी स्कूल राजस्थान विद्यालय फीस अधिनियम की पालना नहीं कर रहे हैं। नियमानुसार फीस कमेटी का गठन नहीं हो रहा। ऐसे में स्कूलों की १० वर्ष की फीस वृद्धि की तुलना कर आंकलन करें और नियमानुसार नहीं होने पर स्कूल की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई प्रेषित करें।