बीकानेर। राज्य सरकार द्वारा पूर्व में स्पष्ट आदेश जारी कर दिए जाने और इसके बाद हाल ही में दोबारा निर्देश जारी कर शिक्षकों को गैर शिक्षण कार्यों में नहीं लगाए जाने के आदेशों का सख्ती से पालन करने की हिदायत के बाद भी शिक्षकों को इतर कार्यों की ड्यूटी में झोंकने का सिलसिला थम नहीं रहा है। सोमवार को ही पूगल उपखण्ड अधिकारी ने एक आदेश जारी कर शिक्षकों को आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत मई और जून 2020 में होने वाले गेहूं और चना वितरण के कार्य में लगा दिया गया है। ऐसे ही आदेश राज्य के अन्य जिलों में भी स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी किए जा रहे हैं।
उपखण्ड अधिकारी ने अपने आदेश में बताया है कि बीकानेर के जिला रसद अधिकारी द्वारा दी गई सूची के अनुसार उनके क्षेत्र के कर्मचारियों को इस काम में लगाया जा रहा है। हर दुकान पर तीन सरकारी कर्मचारियों को लगाया गया है, इसमें दो कार्मिकों के साथ एक ईमित्र संचालक की भी ड्यूटी लगाई गई है।
राज्य सरकार के स्पष्ट आदेशों और प्रशासन द्वारा उन्हीं आदेशों की धज्जियां उड़ाए जाने को लेकर एक ओर जहां आम लोगों के बीच सरकार की किरकिरी हो रही है, वहीं शिक्षकों में व्यवस्था के प्रति रोष बढ़ रहा है। पिछले कई दिन से शिक्षक सोशल मीडिया पर अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं, इन आदेशों के के जारी होने के बाद फेसबुक और व्हाट्सअप पर आदेशों की प्रतियों के साथ बहुत क्रोधपूर्ण संदेशों का आदान प्रदान हो रहा है।
गौरतलब है कि शनिवार को ही एक शिक्षक जिसे कि बीएलओ का कार्य लगातार दिया जा रहा था और साथ ही कोविड-19 के तहत ड्यूटी में झोंका गया था, अपने पुत्र और पुत्री के विवाह से दस दिन पहले आत्महत्या कर चुका है, और अपने इस कृत्य के लिए शिक्षक ने लगातार गैरशिक्षण कार्यों में लगाई जा रही ड्यूटी को कारण कहा बताया जा रहा है। सवा लाख शिक्षकों वाले फेसबुक समूह एज्युकेशन न्यूज ग्रुप और करीब सवा दो लाख शिक्षकों वाले शैक्षिक समाचार राजस्थान में शिक्षकों के गुस्से को देखा जा सकता है।
कलक्टर को निलंबित किया जाए
उधर करौली में एक शिक्षक संगठन ने शिक्षकों को गैरशिक्षण कार्यों में लगाए जाने को लेकर जिला कलक्टर को ही निलंबित करने की मांग मुख्यमंत्री कर दी है। राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन देकर शिक्षकों को गैरशिक्षण कार्यों में लगाने और बिना ठोस कारण शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को लेकर कलक्टर की मानसिक स्थिति पर शंका व्यक्त करते हुए उन्हें तत्काल निलंबित कर शिक्षकों को राहत दिलाने की मांग की है।