आयकर नियमों की धज्जियां उड़ा रही ‘एसडीएमसी’, वर्ष भर होता है करोड़ों का लेन-देन

shivira shiksha vibhag rajasthan December 2016 shiksha.rajasthan.gov.in district news DPC, RajRMSA, RajShiksha Order, rajshiksha.gov.in, shiksha.rajasthan.gov.in, अजमेर, अलवर, उदयपुर, करौली, कोटा, गंगानगर, चित्तौड़गढ़, चुरू, जयपुर, जालोर, जैसलमेर, जोधपुर, झालावाड़, झुंझुनू, टोंक, डीपीसी, डूंगरपुर, दौसा, धौलपुर, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, प्राइमरी एज्‍युकेशन, प्राथमिक शिक्षा, बाड़मेर, बारां, बांसवाड़ा, बीकानेर, बीकानेर Karyalaye Nirdeshak Madhyamik Shiksha Rajisthan Bikaner, बूंदी, भरतपुर, भीलवाड़ा, माध्‍यमिक शिक्षा, मिडल एज्‍युकेशन, राजसमन्द, शिक्षकों की भूमिका, शिक्षा निदेशालय, शिक्षा में बदलाव, शिक्षा में सुधार, शिक्षा विभाग राजस्‍थान, सरकार की भूमिका, सवाई माधोपुर, सिरोही, सीकर, हनुमानगढ़

लापरवाही से उदयपुर राजकोष को लाखों का चूना

प्रदेश की सरकारी स्कूल आयकर नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

उदयपुर। प्रदेश की सरकारी स्कूल आयकर नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। विद्यालय विकास कोष एवं प्रबन्ध समिति (एसडीएमसी) के माध्यम से करोड़ों रुपए का लेन-देन होता है, लेकिन प्रदेश की एक तिहाई एसडीएमसी आयकर नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हैं। अधिकारियों की नाक के नीचे यह पूरा खेल चल रहा है, लेकिन इस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है। यदि किसी समिति या संस्था का पेन कार्ड नहीं बना है, तो संपूर्ण राशि का उपयोग ‘पारदर्शिता’ के दायरे में नहीं आता। प्रदेश में कुल 13 हजार 685 में से केवल 4669 स्कूलों का पेन कार्ड बना हुआ है।

अधिकारियों को नहीं परवाह

राज्य की सभी एसडीएमसी के लिए पेन नम्बर प्राप्त करने एवं आयकर अधिनियम की धारा 1961 की धारा 80जी के तहत छूट के लिए आयकर विभाग में पंजीयन करवाना अनिवार्य है, लेकिन चंद स्कूलों को छोड़ दें तो अधिकतर स्कूल ऐसा नहीं किया है। अधिकतर एसडीएमसी का तो पेन कार्ड के लिए पंजीयन तक नहीं हुआ है। शाला दर्पण पर पेन कार्ड और 80जी प्रक्रिया की सूचनाएं नियमित अपडेट करनी होती है, लेकिन इसका कहीं पालन नहीं हो रहा।

ये हैं प्रदेश के स्कूलों के हाल

प्रदेश में कुल 13685 स्कूल हैं, जिनमें से 13615 स्कूलों में एसडीएमसी कार्यरत है। 6427 स्कूलों ने पेनकार्ड के लिए आवेदन किया है और 4669 स्कूलों के पेनकार्ड बने हुए हैं। 881 स्कूलों ने 80जी के लिए आवेदन किया है। पूरे प्रदेश के केवल 60 स्कूलों को ही 80जी का प्रमाण पत्र यानी आयकर में छूट का लाभ मिलता है।

ये हो रहे है नुकसान

बिना पंजीकृत एसडीएमसी की ऑडिट नहीं हो पाएगी। यदि कहीं उस कोष में पारदर्शिता दिखाने की बात आई तो संस्था प्रधान से लेकर उच्चाधिकारी सकते में आएंगे। यदि ऑनलाइन 80जी की रसीद नहीं मिलती है, तो आयकर की छूट के प्रावधान समितियों को नहीं मिलेंगे। ऐसे में स्कूल को आर्थिक नुकसान होगा। जीएसटी कानूनों में यदि कहीं सरकारी फर्म के लिए कोई छूट का प्रावधान होता है, तो वह किसी हाल में नहीं मिलेगा। कोई समिति जो कोष से जुड़ा लेन-देन करती है और वह पंजीकृत नहीं है तो पूरा लेन-देन फर्जीवाड़े की जद में आता है।

उदयपुर संभाग

उदयपुर में 659 माध्यमिक स्कूलों में से 656 में एसडीएमसी है। इनमें से 375 ने पेनकार्ड के लिए आवेदन किए हैं, जबकि 269 के जारी हो चुके हैं। 51 ने 80 जी में आवेदन किया है, तो 5 स्कूलों को इसका प्रमाण पत्र नहीं मिला। कुल 57.16 प्रतिशत स्कूलों ने पेनकार्ड के आवेदन किए हैं।

ये है एसडीएमसी

जिला शिक्षा अधिकारी नरेश डांगी ने बताया कि विद्यालय विकास कोष एवं प्रबन्ध समिति प्रत्येक स्कूल में बनी हुई है। सरकार, भामाशाह या जनप्रतिनिधियों के जरिये विकास मद से आने वाली राशि इसमें जमा व खर्च होती है। संस्था प्रधान इसका अध्यक्ष होता है। स्कूल का एक शिक्षक सदस्य, बाबू कोषाध्यक्ष, दो विधायक प्रतिनिधि, स्थानीय सरपंच, वार्ड पंच व अभिभावक इसके सदस्य होते हैं। स्कूल में किसी भी आधारभूत सुविधा के विस्तार से लेकर अकादमिक परिवर्तन इस समिति में प्रस्ताव रखने के बाद होते हैं।

ये है बड़े जिलों के हाल

जयपुर- 849 स्कूलों में से 450 को पेनकार्ड मिला है, जबकि 179 ने 80 जी में आवेदन किया है, 12 को प्रमाण पत्र।
जोधपुर- 588 स्कूलों में से 172 को पेनकार्ड मिला है, 22 ने 80 जी में आवेदन किया है, 3 को प्रमाण पत्र मिला।
कोटा- 295 स्कूलों में से 121 का पेनकार्ड, 15 ने 80 जी में आवेदन किया, 1 स्कूल को प्रमाण पत्र।
बीकानेर- 375 स्कूलों में से 71 का पेनकार्ड, 16 ने 80 जी में आवेदन किया, एक को प्रमाण पत्र।
भरतपुर- 510 स्कूलों में से 168 का पेनकार्ड, 17 ने आवेदन किया है, किसी को प्रमाण पत्र नहीं मिला।

बिना पेनकार्ड किसी भी तरह की संस्था या समिति कोई भी राशि हस्तान्तरित करती है, तो वह नियमों का उल्लंघन है, इसमें पारदर्शिता नहीं रहती। सभी का पेनकार्ड बेहद जरूरी है, नहीं तो आयकर नियमों की अवहेलना है।

-दीपक ऐरन, सीए उदयपुर

निर्देश समय-समय पर दे रहे हैं, नियमानुसार होना जरूरी है, प्रयास कर रहे हैं कि सभी स्कूल जल्द से जल्द पेन बनाएं व 80 जी में प्रमाण पत्र लें, स्कूलों को मिलने वाली रैंक में यह भी एक बिन्दु है।

-भरत मेहता, उपनिदेशक माध्यमिक उदयपुर