अब आरक्षण पर विवाद, भर्ती से जुड़े कार्मिक विभाग के आदेश का यूनिवर्सिटी ने अकादमिक रिकॉर्ड से जोड़कर निकाला दूसरा मतलब
उदयपुर। सुविवि की शैक्षणिक भर्तियों पर नया संकट मंडरा रहा है। कार्मिक विभाग से आरक्षण संबंधी आदेश पर यूनिवर्सिटी असमंजस में है। दरअसल कार्मिक विभाग ने कहा था कि भर्ती प्रक्रिया में कोई अभ्यर्थी पूर्व में आरक्षण का लाभ ले चुका है तो दोबारा उस भर्ती में वह सिर्फ आरक्षित वर्ग में ही आवेदन कर सकेगा, अनारक्षित वर्ग के लिए नहीं कर सकेगा। विवि ने इसे इस संदर्भ में अपनी भर्ती प्रक्रिया में लागू किया कि भर्तियों में आवेदक ने अगर पिछली कक्षाओं या शैक्षणिक उपलब्धि में आरक्षण का लाभ लिया है तो उसे भर्तियों में सिर्फ आरक्षित वर्ग में ही लिया जाएगा। वह अनारक्षित वर्ग में आवेदन नहीं कर सकेगा। इसी आधार पर जिओलॉजी, लॉ और म्यूजिक में यूनिवर्सिटी ने शाॅर्ट लिस्टिंग करा ली। ऐसे में अभी विज्ञान के कुछ विषयों के लिए चल रही शॉर्ट लिस्टिंग के दौरान कुछ फैकल्टी चेयरमैन और स्क्रूटनिंग कमेटी सदस्यों की आपत्ति के बाद विवि ने हाल ही फैकल्टी चेयरमैन की बैठक बुलाई और मामला कानूनी राय के लिए भेजा है। वीसी प्रो. जे.पी. शर्मा का कहना है कि हमने जिस नियम से अब तक के विषयों में भर्ती प्रक्रिया की है, वह सही है। फैकल्टी चेयरमैन की बैठक में बात उठी थी, उस पर विधिक राय लेंगे।
लॉ, जिओलॉजी और म्यूजिक में गफलत से करवाए इंटरव्यू
प्रो. हनुमान प्रसाद ने बताए आदेश के मायने
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एससी/एसटी सेल समन्वयक प्रो. हनुमान प्रसाद ने कार्मिक विभाग के आदेश के मायने बताए। उनके अनुसार आदेश में कहा गया है कि भर्ती प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी अगर उम्र, अंक या फिजिकल फिटनेस में किसी प्रकार से आरक्षण का लाभ ले लेता है तो दोबारा वह सिर्फ अपनी आरक्षित कैटेगरी से ही गिना जाएगा, सामान्य कैटेगरी के लिए आवेदन का पात्र नहीं होगा, चाहे मेरिट में कितना ही आगे हो। प्रो. प्रसाद ने बताया कि इस आदेश का अर्थ अभ्यर्थी के पूर्व अकादमिक रिकॉर्ड से कतई नहीं है।
तीन विषयों के बाद अब टूटी नींद
म्यूजिक, लॉ और जिओलॉजी में इसी आधार पर भर्ती करने के बाद अब यूनिवर्सिटी की नींद टूटी है। विधिक राय मिलने के बाद इस मामले को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अगर विधिक राय में यह सामने आता है कि पूर्व में जिस नियम को सही बनाकर शॉर्ट लिस्टिंग और इंटरव्यू कराए गए, वह गलत था तो तीनों विषयों की प्रक्रिया पूरी तरह निरस्त हो सकती है।
ऐसे काम करता है आरक्षण का नियम
देश और प्रदेश की सभी भर्तियों में आरक्षण के नियम के तहत यह माना जाता है कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को उसके वर्ग में तो आरक्षण मिलेगा ही। अगर वह अनारक्षित वर्ग में मेरिट में है तो वहां भी उसे जगह दी जाएगी। मसलन- अगर एससी का अभ्यर्थी है तो उसे भर्ती में 12 प्रतिशत आरक्षण तो मिलेगा ही। अगर उस भर्ती या परीक्षा में अन्य अभ्यर्थियों से बेहतर अंक लाता है और मेरिट में रहता है तो अनारक्षित वर्ग में भी उसे जगह दी जाएगी।
रीडर के लिए 8 साल का अनुभव एकमुश्त या किस्तों में : सुविवि में एसोसिएट प्रोफेसर/रीडर के लिए आठ वर्ष असिस्टेंट प्रोफेसर का अनुभव आवश्यक है। ऐसे में विवि में यह भी असमंजस है कि यह अनुभव एकमुश्त होगा तो ही माना जाएगा या टुकड़ों में मिलाकर 8 वर्ष हो तो। इस मामले में भी विवि ने विधिक सलाह मांगी है।