डर से नहीं गया 9 महीने से स्कूल
बहरोड़ (अलवर)। सरकारी प्राथमिक स्कूल में लगे एक युवा शिक्षक को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना इतना महंगा पड़ा कि महज 3 साल पहले लगी नौकरी ही खतरे में आ गई है। उसने बीईईओ तथा चार साथी शिक्षकों पर एरियर व नियुक्ति पत्र के लिए एक-एक हजार रुपए की रिश्वत लेने और विरोध करने के कारण जान से मारने (murder) की धमकी देने की शिकायत की थी। जान को खतरा मानते हुए शिक्षक को पिता ने 9 माह से ड्यूटी पर नहीं जाने दिया।
ऐसे पता चला मामले का…
– जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा निदेशक व कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक मामला पहुंचा।
– करीब 355 कॉल रिकार्डिंग के सबूत पीड़ित ने दिए, लेकिन फंसे अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की चेन को बचाने उसे ही दोषी और मानसिक रोगी ठहरा दिया। अब उसे सेवा से पृथक करने की कार्रवाई शुरू की गई है।
– हैरानी की बात यह है कि जिन कॉल रिकार्डिंग में रिश्वत के लेन-देन का साफ जिक्र है, उन्हें जांच कमेटी ने झूठा बता दिया। मामला हाजनाका स्कूल में लगे डाबड़वास की ढाणी निवासी कमलकिशोर यादव पुत्र महावीर यादव से जुड़ा है।
– एसटीसी करने के बाद 30 मार्च 2015 को जिला परिषद के जरिये कमलकिशोर का शिक्षक पद पर चयन हुआ तो उसकी पोस्टिंग हाजनाका राउप्रावि में हुई।
– दो साल की परीवीक्षा पूरी होने पर 18 जुलाई 2017 को बीईईओ रामसिंह यादव ने उसके सहित कुल 32 शिक्षकों को कार्यालय बुलाया।
– कमलकिशोर का आरोप था कि यहां नियमितीकरण व एरियर बनाने के लिए सभी से एक-एक हजार रुपए की मांग की गई।