सरहदी क्षेत्र में बदलाव की बयार…
अभी भी कई गांव ऐसे जहां 5वीं-8वीं के बाद स्कूल छोड़ देती है बालिकाएं
रामसर (बाड़मेर)। सरहदी इलाका शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा माना जाता है, लेकिन अब यहां बालिका शिक्षा की बयार बह रही है। यहां कई गांव ऐसे हैं जहां बालिकाएं संसाधनों के अभाव में पढ़ाई बीच में छोड़ देती हैं या फिर स्कूल से दूरी या अन्य कारणों से परिजन 5वीं व 8वीं के बाद स्कूल छुड़वा देते हैं। ऐसा ही गांव है विरध का पार, जहां की आयशा बानो इस बार 12वीं बोर्ड की परीक्षा दे रही है। यह खास इसलिए है क्योंकि आजादी के 7 दशक बाद वह गांव की पहली बेटी है जो 12वीं की परीक्षा दे रही है। सीमा से 6 किमी दूर बसे इस गांव में परिजन बालिका शिक्षा को लेकर कोई खास रुचि नहीं दिखाते।
12वीं तक नहीं पढ़ी कोई बेटी
सरहदी क्षेत्र में बालिका शिक्षा के प्रति आज भी कई भ्रांतियां हैं, जिसके कारण बेटियों को स्कूल नहीं भेजा जाता। कुछ बालिकाओं को परिजन स्कूल भेजते तो हैं, लेकिन 5वीं या 8वीं के बाद पढ़ाई छुड़वा देते हैं। सरहदी गांव अभे का पार, चाड़वा-झाड़वा, सोढ़ाई, गगानियों का पार सहित कई गांव हैं, जहां की कोई भी बालिका 12वीं तक नहीं पढ़ी।
विरध का पार की स्थिति
आयशा के गांव बिरध के पार में 130 से ज्यादा परिवार रहते हैं। यहां की आबादी 1200 के करीब है। अधिकांश ग्रामीण निर्वाह खेती से करते हैं। कुछ गुजरात आदि पड़ोसी राज्यों में मजदूरी करने जाते हैं। महिलाएं एवं बालिकाएं घर का कामकाज संभालती हैं। पशुओं की देखभाल भी करती हैं।
गांव में नहीं हाई स्कूल
बिरध का पार में हाई स्कूल नहीं है। इस वजह से यहां की बालिकाएं 8वीं के आगे नहीं पढ़ पाती। आयशा रामसर कस्बे के निजी स्कूल में पढ़ रही है, जहां 12वीं कक्षा में उसके अलावा 3 बालिकाएं ही हैं।
शिक्षक बनकर पढ़ाऊंगी
पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। कोई बड़ा सपना नहीं है, बस शिक्षिका बनना चाहती हूं, ताकि गांव की लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ा सकूं। अभी भी गांव की लड़कियों को आगे पढऩे के लिए प्रेरित करती हूं और किसी बालिका की पढ़ाई बीच में छूट जाती है तो उसके माता-पिता को समझाती हूं।
-आयशा बानो, बिरध का पार