फिर बढ़ी फीस, आखिर कब लगेगी मनमानी पर लगाम

Education Shiksha Vibhag

डूंगरपुर। एक तरफ महंगाई बढ़ रही है, दूसरी तरफ निजी स्कूलों की फीस में मनमानी बढ़ोतरी की जा रही है। इससे गरीब बच्चों के लिए निजी स्कूल में दाखिला लेना सपना बनकर रह जाएगा। वहीं मध्यमवर्गीय परिवारों की जेब ढीली होने के साथ हर माह अतिरिक्त राशि स्कूल को देनी पड़ेगी। ऐसे में अभिभावकों के सामने कई समस्या खड़ी होने वाली है। हालांकि जिले के अभिभावक संघ के संगठित नहीं होने का फायदा स्कूल प्रबंधन जमकर उठा रहा है। बताया जा रहा है कि अनुमानित चार से 12 हजार रुपए का खर्चं आएगा। एक परिवार से दो बच्चे होने पर स्थिति ओर बिगड़ेगी।

स्कूलों ने अधिकृत कर रखी दुकानें

स्कूलों ने शिक्षा का व्यापारीकरण कर दिया है। स्कूलों की तरफ से पुस्तक, नोटबुक, स्कूल यूनिफॉर्म, बैग, जूते-मौजे, बेल्ट, स्टेशनरी सामग्री की व्यवस्था की है। इसके लिए शहर व ग्रामीण क्षेत्र में कुछ दुकानों को अधिकृत कर रखा है। यहां सामान महंगे दामों पर मिलता है, लेकिन अभिभावकों को खरीदना मजबूरी हो गया है।

संगठित नहीं, सहमे हुए हैं अभिभावक

जिले का निजी स्कूलों का अभिभावक संगठन संगठित नहीं है। अभिभावकों को डर है कि बच्चा स्कूल में पढ़ रहा है। कहीं बच्चे का नाम न काट लें। परीक्षा में शामिल होने से रोकने, विद्यार्थी को अच्छी शिक्षा से वंचित रहने का डर बना हुआ है।

अप्रेल में स्थिति हो जाएगी साफ

अभी जिले के निजी स्कूलों की स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं हो सकेगी। अप्रैल माह में किस स्कूल ने कितना प्रतिशत फीस बढ़ाई है, यह पता लग जाएगा। जिले के 10 से 35 सरकारी स्कूलों मेंं संसाधनों की कमी गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवार अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहता है, लेकिन संसाधन एवं शिक्षकों की कमी के कारण उसे अपना निर्णय वापस लेना पड़ता है। निजी स्कूल सुविधायुक्त होने के चलते अतिरिक्तभार वहन कर बच्चों को दाखिला करा देते हैं।