तबादला नीति के लिए बनी कमेटी ने एक भी बैठक नहीं की
अभी से लगने लगी राज्यमंत्री और नेताओं के यहां तबादलों की भीड़
राज्य सरकार ने करीब 10 दिन पहले ही तबादले पर रोक हटा दी है। राज्य सरकार ने तमाम महकमे के कर्मचारियों के तबादले के लिए लगे बैन को हटा दिया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा तबादले शिक्षा विभाग में होते है। ऐसे में शिक्षक संगठनों की मांग पर राज्य सरकार ने 5 नवंबर 2015 को आदेश जारी कर तबादला नीति बनाने के लिए 5 मंत्रियों की एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की जिम्मेदारी थी कि शिक्षा विभाग के शिक्षकों और कर्मचारियों को तबादला करना हो तो उसके लिए क्या-क्या मापदंड होंगे। हकीकत तो यह है कि यह आदेश भी गौण हो गया और कमेटी की बैठक तक नहीं हुई है। एक बार फिर से नेताओं और विधायकों की सिफारिश से ही तबादले होने है। भले ही सरकार ने अभी स्कूलों में परीक्षा के चलते इस काम को रोक दिया है, लेकिन कुछ ही दिनों में तबादले शुरू हो जाएंगे। खास बात तो यहीं है कि मौजूदा प्रावधानों में विधायकों और मंत्रियों की डिजायरों पर ही तबादले होने है। विभाग के पास डिजायर न हो तो ट्रांसफर करने का अधिकार तक नहीं रहेगा। एक जिले में औसत 7 हजार तबादले होते आए है।
मंत्रियों की समूह वाली कमेटी ने ध्यान ही नहीं दिया
सूत्रों के अनुसार नवंबर 2015 में कमेटी का गठन करने के बाद इस कमेटी की एक भी बैठक नहीं हुई है। हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से सर्कुलर जारी कर फीडबैक और सुझाव मांगे गए थे। जिसमें कई तरह के प्रावधानों की बात कहीं गई थी। अब नवंबर के आदेश इन दिनों शिक्षकों के सोशल ग्रुपों में खूब वायरल हो रहे हैं।
शिक्षामंत्री ने आश्वस्त किया है कि नई गाइडलाइन तैयार की जा रही है, उसी के अनुसार ही ट्रांसफर होंगे।
– महेंद्र पांडे, महामंत्री राजस्थान शिक्षक संघ
यह सरकार की पॉलिसी होती है। इस संबंध हमें जो भी गाइडलाइन मिलती है, उसके अनुसार ही फॉलो करते है।
– परमेश्वरलाल, अतिरिक्त निदेशक
असर क्या
वर्तमान स्थिति से उन शिक्षकों के ऊपर असर पड़ता है जो 10 सालों से एक ही जगह पर सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उनका तबादला नहीं हुआ है। अब डिजायर वाले इस फंडे में उन लोगों का तबादला हो जाता है, जिनके पास अपना जुगाड़ होता है। ऐसे में 40 फीसदी कर्मचारी अपना जुगाड़ नहीं कर पाते है। फिर उनका तबादला नहीं हो पाता।
अब बनेगी यह स्थिति
विधायकों की लिस्ट में नाम आने पर ही तबादला।
डिजायर न हो तो विभाग के पास तबादले का अधिकार नहीं।
एक जिले में औसत 7 से 8 हजार तबादले की अर्जी।
मंत्रियों से संपर्क साधा, मामला जानने के बाद पीए बोले : बाद में बात कराएंगे
इस मामले में कमेटी के सदस्य मंत्री अभी कुछ बोलना ही नहीं चाहते है। गुलाबचंद कटारिया से संपर्क किया तो उनके पीए ने पहले तो मामला जाना, फिर कहा कि वह कोटा में मीटिंग कर रहे हैं। बाद में बात कराएंगे। इसी तरह शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, अरुण चतुर्वेदी, सुरेंद्र गोयल के पीए की ओर से भी जवाब आयाइस मामले में स्थानीय से लेकर मंत्री लेवल तक कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है।
ऐसे हाेते हैं फैसले
वर्तमान में ट्रांसफर के लिए शिक्षक या कर्मचारी को किसी कार्यकर्ता से जुगाड़ बैठाकर विधायक या मंत्री की डिजायर हासिल करनी होगी। इसके साथ ही यह तय कराना होगा कि मंत्री या विधायक की लिस्ट में उसका नाम शिक्षा विभाग तक पहुंचे। अन्यथा वह डिजायर लेकर घूमता रहेगा और तबादला नहीं होगा। ऐसे में शिक्षक या कर्मचारी स्वयं को जाना पड़ता है। इसके बाद ही तबादले की गारंटी होती है।