पांचवीं कक्षा के नन्हें-नन्हें बच्चे लगातार ढ़ाई घण्टे तक बिना दरी व लिखने की सुविधा के बिना ही प्राथमिक शिक्षा अधिगम स्तर की परीक्षा दे रहे हैं
श्रीडूंगरगढ़। यह कैसी विडम्बना है कि पांचवीं कक्षा के नन्हें-नन्हें बच्चे लगातार ढ़ाई घण्टे तक बिना दरी व लिखने की सुविधा के बिनाही प्राथमिक शिक्षा अधिगम स्तर की परीक्षा दे रहे हैं। बड़ा ही विचित्र है कि शिक्षा विभाग इन बच्चों से शिक्षा गुणवत्ता की परीक्षा ले रहा है या शारीरिक गुणवत्ता की। जो बच्चे लगातार पूरे शिक्षा सत्र में कुर्सी-टेबल या स्टूल पर बैठ कर अध्ययन करते है, अब इन बच्चों को जमीन पर बैठ कर बिना किसी साधन के ही प्रश्न पत्र हल करने को मजबूर होना पड़ रहा है। यहां जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था डाइट के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा अधिगम स्तर की परीक्षा गुरुवार से शुरू हुई पांचवी कक्षा की परीक्षा दे रहे बच्चों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कस्बे में चार परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं। केन्द्रों पर क्षमता से ज्यादा बच्चे होने के कारण अव्यवस्था का आलम बना हुआ है।
कालूबास स्थित राजकीय महेश्वरी उच्च प्राथमिक विद्यालय केन्द्र प्रभारी सुलोचना महला ने बताया कि यहां चार कमरे व एक हाल की व्यवस्था है। इन सभी में बच्चों की बैठक क्षमता डेढ़ सौ से ज्यादा की नही है पर यहां २ सौ ७६ बच्चे परीक्षा दे रहे हैं। हालांकि इन बच्चों को बैठने के लिए दरियों की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन कुर्र्सी-टेबल की व्यवस्था करना सम्भव नही है। कुछ बच्चों को बरामदे में ही परीक्षा दिलवाई जा रही है। इसी तरह राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय आडसर बास परीक्षा केन्द्र में ३४२ बच्चे आठ कमरों में बिना टेबल-कुर्सी परीक्षा दे रहे हैं। यहां बच्चों के लिए दरी की भी व्यवस्था नहीं होने से मजबूरीवस फर्र्श पर परीक्षा देनी पड़ रही है। केन्द्र प्रभारी जयसिंह राजोतिया ने बताया कि यहां एक कमरे की क्षमता २४ से २५ बच्चों की है, जबकि यहां ४२ बच्चे कक्ष में बैठ रहे है।
अभिभावकों में रोष
परीक्षा दे रहे बच्चों के अभिभवकों ने रोष जताते हुए बताया कि बच्चों के साथ परीक्षा के नाम पर मखोल किया जा रहा है। जो बच्चे कुर्सी-टेबल पर अध्ययन करते हैं। उनको गर्मी में जमीन पर बैठकर ढ़ाई घण्टे तक कड़ी परीक्षा देनी पड़ रही है।
कैसे होगी गुणवत्ता की परख
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था द्वारा पांचवी कक्षा के बच्चों की शिक्षा अधिगम स्तर की करवाई जा रही परीक्षा में की गई व्यवस्था को देखकर गुणवत्ता की परख होना बेमानी ही कहा जाएगा। जिस कक्ष में २४ बच्चों की बैठने की जगह हा,े उसमे ४० बच्चे बैठाए जा रहे है। ऐसे हालात में बच्चे शारीरिक रूप से बैठने व लिखने में ही कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।