शिक्षा अधिकारी हर हाल में स्कूलों का निरीक्षण करें

SHIVIRA Shiksha Vibhag Rajasthan
SHIVIRA Shiksha Vibhag Rajasthan

उदयपुर। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शिक्षा अधिकारियों के सरकारी स्कूलों में निरीक्षण करने की संख्या निर्धारित करते हुए इसकी पालना के सख्त निर्देश दिए हैं। हर हाल में अधिकारियों को निरीक्षण पर जाना ही होगा, ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी। बीते माह अफसरों के सरकारी स्कूलों में निरीक्षण को लेकर लापरवाही सामने आने पर निदेशक ने सख्त हिदायत दी है। शिक्षा अधिकारियों को शैक्षिक स्तर सहित भौतिक संसाधनों की उपलब्धता, एसआईक्यूई प्रोफाइल, पोषाहार की व्यवस्था आदि की जानकारी लेने के लिए स्कूलों में जाकर निरीक्षण करना होगा। जानकारी के अनुसार हाल ही में जारी रिपोर्ट में शिक्षा अधिकारियों का स्कूल निरीक्षण प्रगति करीब 65 फीसदी मिली। इसमें पीईईओ को माह में एक बार उत्कृष्ट स्कूल और दो माह में एक बार सामान्य स्कूल, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को 20-20 स्कूल, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को 15-15 स्कूलों का निरीक्षण प्रतिमाह करना है। निदेशक ने कहा है कि डीईओ खुद निरीक्षण करें तो उनके अधीन अधिकारी भी प्रेरित होंगे।

जिला समान परीक्षा 13 से 25 अप्रैल तक

उदयपुर। जिला समान परीक्षा के तहत वार्षिक परीक्षा जिले के सभी राजकीय और मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में 13 अप्रैल से 25 अप्रैल तक होगी। इसके प्रश्न पत्र भुवाणा राजकीय उमावि में तैयार किए जा रहे हैं। जिला स्तर पर इस संबंध में टाइम टेबल जारी कर दिया गया है।

यहां घर के बजाय स्कूल में होता है कन्या पूजन

बेटी बचाने और बालिका श‍िक्षा को बढ़ावा देने के ल‍िए सकारात्‍मक पहल

यहां नवरात्रि समापन पर कन्या पूजन घर में करने के बजाय स्कूल में बालिकाओं का पूजन करते हैं

फलासिया। तस्वीर फलासिया के कोल्यारी की है। जहां एक ही तीन भाइयों का परिवार समाज को नई दिशा देने के प्रयास में जुटा है। यहां नवरात्रि समापन पर कन्या पूजन घर में करने के बजाय स्कूल में बालिकाओं का पूजन करते हैं। सोच ये कि बेटी बचाने की सोच के साथ ही बालिका शिक्षा को बढ़ावा मिले। कोल्यारी निवासी शिक्षक प्रकाश टोकरिया, उनके भाई राज और सुरेश बीते पांच सालों से स्कूल में कन्या पूजन कर रहे हैं। बालिकाओं का पूजन करने के साथ ही उन्हें सत्कारपूर्वक भोजन करवाते हैं। इस काम में पूरा परिवार जुटता है। प्रकाश बताते हैं कि अनजान बालिकाओं का पूजन कर इनके पांव छूने पर जो संतुष्टि मिलती है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। परिवार में बेटी नहीं होने पर भी गिला शिकवा नहीं रहता। सारी कन्याएं बेटियों सी लगती है।